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Thursday 27 September 2018

नाभी पाईटस से सौन्‍र्द्धर्य समस्‍याओं एंव रोग का उपचार


नाभी सौन्‍र्द्धर्य होम्‍यो गगन












नाभी सौन्‍र्द्धर्य का महत्‍व



नाभी का महत्‍व



बांझपन में नाभी रहस्‍य



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ब्‍यूटी क्‍लीनि में नेवल रिंग



Saturday 22 September 2018

नीशेप क्‍लीनिक (सैक्‍सी नाभी)पेट एंव नाभी को आकृषक बनाना


                  पेट एंव नाभी को आकृषक बनाना
  
  महिलाओं की सुन्‍दरता में समतल पेट पर झील सी बल खाती गहरी नाभी का अपना एक अलग ही महत्‍व है, जिसका वर्णन कवि कालीदास ने अपने गृन्‍थ में कुछ इस प्रकार से किया है , कटि मध्‍य ,समतल उदर पर झील सी बल खाती गहरी नाभी, उन्‍नत उरोज, पुष्‍ट नितम्‍ब प्रदेश, पुष्‍ट स्‍वस्‍थ्‍य जंधायें किसी सुन्‍दर महिला के शरीर के ये उतार चढाव उसके सौन्‍र्द्धय में चार चॉद लगा देते है । यही है ईश्‍वर की अद्वितिय रचना जिसे बार बार देखने पर भी मन नही भरता । कहने का सीधा सा अर्थ है किसी भी महिला में स्‍वस्‍थ्‍य पुष्‍ट नितम्‍ब (कुल्‍हे) ,उन्‍नत उरोज(स्‍तन) तथा समतल पेट पर झील की तरह से गहरी नाभी होना चाहिये । शरीर के यह उतार चढाव उसके सौन्‍र्द्धय को कई गुना अधिक बढा देते है । खॉस कर ऐसी युवा महिलाये जो माडलिंग से जुडी है  या फिल्‍म लाईन टेलीवीजन या फिर डॉस प्रोग्राम आदि करती है उनके लिये तो गहरी नाभी एंव नाभी बल का अपना विशेष महत्‍व है क्‍योकि जब वे प्रफामेन्‍श करती है तब लाखों र्दशकों की नजर उन पर होती है ऐसे में यदि किसी महिला की नाभी जख्‍म की तरह , कम गहरी या डण्ठल की तरह से बाहर को निकली हुई है ऐसे में उसके पेट को सौन्‍र्द्धय तो गया कभी कभी कुछ युवा महिलाओं का पेट मर्दो की तरह से सपाट या फिर एक सा होता है जिसमें स्‍त्री सुलभ आकृषण नही होता , महिलाओं के पेट की बनावट इस प्रकार होनी चाहिये जिसमें स्‍त्रीय सुलभ आकृषण प्रथम दृश्‍या ही दिखे ।  ब्‍युटी क्‍लीनिक की एक शाखा है जिसे नीशेप क्‍लीनिक भी कहॉ जाता है, इसमें वैसे तो केवल पेट केा सैक्‍सी तथा नाभी को गहरा आकृषक बनाया जाता है । परन्‍तु अब इसमें कुल्‍हे एंव स्‍तनों को भी आकार में गोल पुष्‍ट कपिंग प्रक्रिया से बनाया जाने लगा है ।
पेट व नाभी को आकृषक बनाना:- कई महिलाओं का पेट एंव नाभी का आकार आकृषक सैक्‍सी नही होती । कुछ महिलाओ का पेट एकदम चिपका हुआ या फिर मर्दो की तरह, एक सा होता है , इसी प्रकार उनकी नाभी गहरी न होकर बाहर को निकली हुई या फिर किसी जख्‍म की तरह से दिखती है, इस प्रकार के पेट व नाभी के आकार प्रकार उसके उतार चढाओं में सौन्‍द्धर्य नही होता, इस प्रकार के पेट व नाभी को देख कर पुरूष आकृषित नही होते । पुरूष के आकृषण में गहरी नाभी तथा मुलायम पेट, जिस पर नाभी बल पडते हो या फिर पेट तथा नाभी का उतार चढाव इस प्रकार होना चाहिये कि देखने वाले को लगे की समतल मुलायम पेट पर झील की तरह से बल खाती गहरी नाभी है, जिसे देखने एंव स्‍पर्श करने की इक्‍छा जागृत होने लगे । झील की तरह बल खाते पेट पर गहरी नाभी, पतली कमर, उस पर उन्‍नत उरोज (स्‍तन) पुष्‍ट उन्‍नत नितम्‍ब (भरे हुऐ कुल्‍हे) में इतना आकृषण होता है कि वह किसी भी उम्र के पुरूषों को  क्‍या महिलाओं तक को अपनी तरफ सम्‍मोहित कर सकती है । पेट को समतल एंव झील की तरह या नाभी पर नाभी बल आसानी से बनाया जा सकता है, इसी प्रकार ऐसी महिलायें जिनकी नाभी कम गहरी या जख्‍म की तरह से दिखती है या उस पर नाभी धारियॉ स्‍पष्‍ट दिखलाई देती है । उसे गहरा आकृषक थोडे से प्रयासों से बनाया जा सकता है । 
                 नीशेप क्‍लीनिक में नेवेल कार्क ,नेवेल स्प्रिंग की सहायता से नाभी को गहरा
आकृषक बनाया जाता है । जिसका उल्‍लेख नेवल कार्क तथा नेवल स्प्रिग से नाभी को आकृषक बनाने में दिया गया है । यहॉ पर पेट को मुलायम आकृषक बनाने के बारे में बतलाया जा रहा है । पेट पर नाभी से आडी रेखा में बल पडने से नाभी जहॉ गहरी दिखने लगती है वही पेट पर बल खाती इस रेखा को नाभी बल कहते है इस नाभी बल के पडने से पेट आकृषक दिखने लगता है । पेट की बनावट कुछ इस प्रकार से होना चाहिये , नाभी के नीचे जिसे हम तल पेट कहते है, यह यदि नाभी से उपर के पेट से कुछ उभरा हुआ है तो इससे नाभी गहरी दिखती है , परन्‍तु प्राय: नाभी के नीचे से कपडे पहनने के कारण यह तल पेट उपर की अपेक्षा कुछ दबा जाता है इससे पेट का आकृषण कम हो जाता है । आजकल प्राय: महिलाये अपने पेट पर नाभी बल बनाने का प्रयास करती है, इसके लिये सर्वप्रथम नाभी से तीन इंच नीचे वस्‍त्र को बॉधे साथ में नाभी
के बीचों बीच से एक नाडा या इलैस्‍टीक (रबड) को पेट पर नाभी से होते हुऐ पहने । परन्‍तु इससे पहनने या नाडे को बॉधते समय इस बात का विषय ध्‍यान रखे की इससे पेट पर इतना ही कसाब हो
, जिससे आप को किसी प्रकार की परेशानी न हो अर्थात उसे अधक कस कर न पहने । इसे नियमित पेट पर पहनने से नाभी पर कुछ ही दिनों में बल रेखा बन जायेगी । वैसे तो इसे तीस दिन से लेकर दो माह तक लगातार पहनने से उचित परिणाम मिलने लगते है  साथ ही तल पेट जो दबा हुआ है उसे उभारने हेतु का कपिंग यंत्र का भी प्रयोग कर सकते है यदि कपिंग यत्र नही है तो आप को जितना तल पेट याने नाभी के नीचे के पेट को जितना उभारना हो उतने भाग के नीचे से कपडे को पहने एंव उस कपडे के कसाब को पहले के अपेक्षा कुछ बढा दीजिये या फिर नाड या इलैस्‍टक को जितने नीचे से आप बॉधना चाहे, बॉधे इससे नाभी पर बॉधे नाडे या इलैस्‍टक तथा तलपेट पर नीचे बॉधे नाडे या इलैस्‍टक के दोनो दबाब की बजह से तल पेट के मसल्‍स उभर जायेगे । इसे ठीक उसी स्‍थान पर नियमित लम्‍बे समय तक  बॉधने से  तल पेट पर उभार आ जाता है तथा नाभी पर नियमित दबाब से वह अन्‍दर की तरफ दब जाती है तथा नाभी से लेकर पेट के सामने के उभार पर एक गहरी दबी हुई  रेखा बन जाती है । पेट पर इस कसाव की वहज से कमर पतली हो जाती एंव पेट भी नही बढता । प्राकृतिक उपचार में पेट के मोटापा को कम करने में इस विधि का प्रयोग बडे ही आशा और विश्‍वास के साथ किया जा रहा है एंव इसके बडे ही अच्‍छे परिणाम मिले है । यह तो बात हुई नाभी पर बल बनाने की एंव तल पेट को उभारने की इसके साथ यदि आप नाभी को गहरा करना चाहते हो तो नेवेल कार्क जो एक साधारण सा नाभी के आकार व गहराई का कार्क होता है उसे आप इलैस्‍टक पहनते समय नाभी पर लगा दीजिये कार्क के नियमित दबाब से नाभी भी कार्क के आकार की गहरी हो जायेगी । नेवल कार्क आप घर पर भी बना सकते है इसके लिये आप नाभी की साईज का एक मोती ले तथा उसे एक रूपये के सिक्‍के के आकार की प्‍लेट पर अच्‍छी तरह से चिपका दीजिये आप का नेवल कार्क तैयार है परन्‍तु यदि आप की नाभी पहले से ही कम गहरी है तो कार्क खिसक जायेगा इसलिये इस पर बैन्‍डेज जो रोल में आते है उसे मोती के उपर जिस भाग को आप नाभी पर रखे उस पर कॉट कर चिपका दीजिये चूंकि ऐसा करने से कार्क खिसकता नही है । 
इससे सम्‍बन्धित अधिक जानकारी के लिये आप ब्‍युटी क्‍लीनिक या नीशेप क्‍लीनिक की इन साईडों पर पूरी जानकारी देख सकते है या नि:शुल्‍क ब्‍युटी क्‍लीनिक पाठयक्रमों की साईड से भी जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकते है । यहॉ पर हम कुछ साईड व मेल ऐड्रस दे रहे है आप उनसे जानकारी प्राप्‍त कर सकते है ।
 neeshep.blogspot.com
xxjeent.blogspot.com
  beautyclinic.blogspot.com
battely2.blogspot.com




नीशेप क्‍लीनिक (सैक्‍सी नाभी)नेवल स्प्रिंग से नाभी के आकार को सुन्‍दर लुक देना


                नेवल स्प्रिंग से नाभी के आकार को सुन्‍दर लुक देना
आज कल महिलाओं में गहरी एंव आकार में गोल चौडी नाभी का महत्‍व बढते जा रहा है नाभी प्रर्दशन का फैशन तेजी से युवा महिलाओं में बढते जा रहा है नीशेप क्‍लीनिक या नीशेप पार्लर में नाभी को गहरा गोल आकृषक लुक दिया जाता है । नी शेप पार्लर आज के समय में एक लाभ का व्‍यवसाय बनते जा रहा है । इस व्‍यवसाय में पूजीं निवेश कम होने के साथ लाभ अधिक है । इसीलिये ब्‍युटी पार्लर अपने यहॉ नीशेप क्‍लीनिक की ब्रॉच खोल कर लाभ कमा रही है ! चूकि अभी इसके जानकारों का ब्‍याप्‍त अभाव है इसकी सुविधाये हमारे देश में केवल महानगरों तक ही सीमित है ।

नेवेल स्प्रिंग :- नेवेल स्प्रिंग एक साधारण सी स्प्रिंग है जो स्‍टीललैस स्‍टील की नाभी साईज अर्थात नाभी के वृत से थोडी सी बडी होती है । इसे सकरी एंव कम गहरी नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड दिया जाता है । जैसा कि हम सभी इस बात को अच्‍छी तरह से जानते है कि स्प्रिंग का स्‍वभाव होता है यदि उसे दबा कर छोड दिया जाये तो वह अपने मूल आकार में लौट आती है । इसी उदेश्‍य का उपयोग यहॉ पर नाभी के आकार को बढाने एंव उसे गहरा करने में होता है । कम गहरी या सकरी नाभी या फिर इस प्रकार की नाभी जिसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है जिसकी वहज से नाभी का सौर्न्‍दय जाता रहता है । इस प्रकार की नाभी के आकार को चौडा एंव गोल शेप में गहरा बनाने के लिये नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग नीशेप क्‍लीनिक या नीशेप पार्लर में किया जाता है । इसे नाभी पर लगाना बहुत ही आसान है तथा इसे कभी भी आसानी से निकाला जा सकता है महिलाये स्‍वंय इसे अपनी सुविधानुसार लगा सकती है एंव निकाल सकती है नेवेल स्प्रिंग का उपयोग स्‍थाई एंव अस्‍थाई दोनो तरीके से किया जा सकता है । नेवल स्प्रिंग का एक फायदा यह भी है कि इससे नाभी निश्‍चत रूप से आकार में गोल चौडी गहरी सुन्‍दर हो जाती है । नेवल स्प्रिंग को नाभी के अन्‍दर डाल कर छोड देने से वह अपने स्‍वाभाविक दबाब के कारण नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स पर दबाब डालती है इससे स्प्रिंग का पतला तार नाभी के अन्‍दर मसल्‍स में इस प्रकार दबाब देते हुऐ छिप जाता है कि आसानी से नजर नही आता इसीलिये ऐसी महिलाये जो पार्टी या किसी फंगशन आदि में जाती है या फिर फिल्‍म मीडिया या टेलीविजन अदाकारा जो नाभी र्दशना वस्‍त्र पहनना चाहती है वे अस्‍थाई नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग करती है ताकि उनकी नाभी गहरी सुन्‍दर दिखे ।
नेवेल स्प्रिंग:- नेवल स्प्रिंग स्‍टील की एक साधारण सी स्प्रिंग है जो नाभी के साईज या नाभी साईज से थोडी सी बडी होती है । इसे नाभी के अन्‍दर की सतह पर दबा कर छोड दिया जाता है दबाव के कम होते ही स्प्रिंग अपने स्‍वाभाव के कारण अपनी मूल स्थीति में आ जाती है एंव नाभी की दिवारों पर दबाब देते हुऐ आकार में चौडा कर देती है यदि नाभी पर धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई दे रही है तो वह भी स्प्रिंग की दबाब की वजह से आसानी से छिप जाती है । स्प्रिंग के इस दबाब के कारण नाभी आकार में गोल गहरी दिखलाई देने लगती है । नाभी पर नेवल स्प्रिंग को लगाना बहुत आसान है आप नाभी की साईज से थोडी बडी साईज की स्प्रिंग को ले एंव इसे अंगुलियों से दबाते हुऐ नाभी के अन्‍दर डालकर छोड दे आप चाहे तो फारशेप या किसी चिमटी का प्रयोग भी कर सकते है । जैसे ही इसे नाभी की सतह पर छोडा जाता है यह फैल कर नाभी के आकार को गोल बना देती है तथा नाभी का साईज इसके नियमित उपयोग से स्‍थाई रूप से आकार में गोल एंव गहरा हो जाता है । इसके नियमित उपयोग से जब नाभी का आकार बढ जाता है तो यह स्प्रिंग अपने आप निकल जाती है । इससे यह सिद्ध होता है कि नाभी का आकार पहले की अपेक्ष बढ गया है यदि आप को इससे भी अधिक आकर में नाभी को चौड गोल करना हो तो उससे कुछ बडी साईज के नेवल स्प्रिंग का प्रयोग कर सकते । वैसे तो मात्र नेवल स्प्रिंग से नाभी आकार में चौडी गोल हो जाती है परन्‍तु कुछ महिलाओं की नाभी आकार में चौडी तो हो जाती है परन्‍तु गहरी कम होती है उन्‍हे नेवेल स्प्रिंग के बाद नेवेल कार्क का प्रयोग करना चाहिये इसके साथ ही यदि नाभी के उपर के मसल्‍स कम है तो कपिंग का प्रयोग कर नाभी प्रदेश के मसल्‍स को उभारा जा सकता है । नाभी प्रदेश के मसल्‍स के उभरने से नाभी स्‍वाभाविक रूप से अधिक गहरी दिखने लगती है ।
सावधानी:- नेवेल स्प्रिंग का प्रयोग प्रारम्‍भ में उतनी ही साईज का करे जिससे नाभी पर अधिक दबाब न पडे एंव स्प्रिंग इस प्रकार की होना चाहिये ताकि त्‍वचा को नुकसान न हो  2-समय समय पर नेवल स्प्रिंग को निकाल कर किसी एन्‍टीसेप्‍टीक लोशन से साफ करते रहना चाहिये । साथ ही नाभी के अन्‍दर भी सफाई करना आवश्‍यक है । 3- नाभी के आकार को अधिक चौडा करना हो तो नेवेल स्प्रिंग की साईज को समय समय पर बढाते जाना चाहिये ।
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F:\BC-वर्ष 2018-19\NeeShap Clinic\27-नेवल स्प्रिंग से नाभी के आकार को सुन्‍दर लुक देना.doc

नीशेप क्‍लीनिक (सैक्‍सी नाभी) नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना


नेवेल कार्क से नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाना
महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहनने के कारण गहरी नाभी का महत्‍व काफी बढ गया है । नाभी को आकार में कुछ चौडा एंव गहरा कराने हेतु नीशेप पार्लर में नेवेल कार्क एंव नेवेल स्प्रिंग की सहायता से गहरा बिना किसी आपरेशन के आसानी से किया जाता है । गहरी नाभी की बात ही कुछ और होती है , वही सकरी या फिर कम गहरी नाभी देखने में सुन्दर नही दिखती , नाभी को गहरा करने के लिये उपयोग में आने वाले कार्क को नेवेल कार्क कहते है । नेवेल कार्क एक साधरण सा कार्क है जिसे नाभी के अन्‍दर डाला जाता है ताकि नियमित रूप से कार्क के दबाब के कारण वहॉ के मसल्‍स अन्‍दर की ओर धस जाते है इससे नाभी एक गहरा आकार ले लेती है । नेवेल कार्क उपलब्‍ध न हो तो इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है । 


नेवेल कार्क बनाने की विधि :- नेवेल कार्क बनाना बहुत ही आसान है , इसे केवल इस प्रकार से बनाना होता है जिसमें नाभी पर नियमित दबाब बना रहे ताकि कार्क के दबाब के कारण नाभी अन्‍दर को दब जाये जिससे नाभी के अन्‍दर के मसल्‍स दबकर एक निश्चित आकर ले लेते है । नेवेल कार्क को बनाने के लिय बजार से जिस साईज की नाभी को आकार व गहराई देना हो उस साईज के प्‍लास्टिक के मोती को खरीद ले या फिर बच्‍चे जो कॉच की गोलीयॉ खेलते है इसे ले ले दोनो ही बजार में अलग अलग साईज के आसानी से उपलब्‍ध हो जाते है । इसके बाद इसे फिट करने के लिये आप एक रूपये साईज के सिक्‍के की साईज का या इससे थोडी बडे साईज एल्‍युमिनियम के गोल साईज का वृत के आकार की बस्‍तु को ले जिसके बीचों बीच एक छोटा सा छिद्र ताकि उसके उपर प्‍लास्टिक के मोती या कॉच की गोली को आसानी से इस प्रकार रखा जा सके ताकि वह इधर उधर गिरे नही । अब इसे आप क्‍युफिक्‍स या बजार में प्‍लास्टिक को चिपकाने वाले जो पदार्थ मिलते है उससे उसे उस जगह पर लगा कर चिपका दे बस आप का नेवेल कार्क तैयार हो गया । इस चित्र में देखिये आप को सारी जानकारीयॉ हो जायेगी ।
इस प्रकार से आप घर पर नेवेल कार्क को आसानी से बना सकते है । यहॉ पर जो चित्र दिया है उसमें एल्‍युमोनियम की एक गोल प्‍लेट है जिसके छिद्र पर प्‍लास्टिक के मोती को चिपका दिया गया है । आप चाहे तो इसकी जगह कॉच की गोली को भी चिपका सकते है कॉच की गोली की चिकनी होती है इससे त्‍वचा पर किसी प्रकार के निशान आदि बनने की संभावना कम होती है ।
नेवेल कार्क का उपयोग :-  नेवेल कार्क का उदेश्‍य केवल इतना होता है कि वह नाभी पर दबाब बना सके इस दबाब की बजह से नाभी का आकार एंव गहराई इसके नियमित कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बढ जाती है । अब आप को इसे नाभी पर इस प्रकार से लगाना है ताकि प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर हो एंव एलुमोनियम प्‍लेट बाहर की तरफ अब इसे अंगुलिये से इतना दबाये ताकि कार्क याने प्‍लास्टिक या कॉच की गोली नाभी के अन्‍दर पूरी तरह से फिट हो जाये । यह गिरे नही इसके लिये आप धॉव पर लगाने बाली बैंडेज जो चिपकती है उसे इस प्रकार से लगाये ताकि वह नाभी के पास की त्‍वचा पर इस प्रकार से चिपक जाये ताकि यह कार्क गिरे नही । नियमित कुछ दिनों तक इसी प्रकार से अपनी सुविधानुसार इसे लगाते रहे । जब नाभी गहरी हो जाये एंव आकार में गोल चौडी हो जाये तो आप चाहे कि इसकी गहराई और आकार को और बडी करना है तो आप उस साईज के कार्क का उपयोग कर सकते है । आप अपने नीशेप पार्लर में इस प्रकार के कार्क को बना कर बेच भी सकते है यह बनाने में बहुत आसान है तथा इसका मूल्‍य आप को आप के मन के मुताबिक नाभी पर लगाने पर मिल सकता है । नेवेल कार्क का प्रयोग नियमिल लम्‍बे समय तक करने से नाभी का आकार स्‍थाई रूप से गहरा हो जाता है । अ
 
आज कल युवा महिलाओं में नाभी र्दशना वस्‍त्रों के पहने के कारण गहरी नाभी का अधिक महत्‍व बढा है हर महिला चाहती है कि उसकी नाभी गहरी सुन्‍दर हो परन्‍तु सभी महिलाओं की नाभी गहरी सुन्‍दर नही होती । कई महिलाओं की नाभी ,सकरी ,कम गहरी , फिर उसमें नाभी धारीयॉ स्‍पष्‍ट रूप से दिखलाई देती है इससे नाभी का सौन्द्धर्य जाता रहता है गहरी नाभी ही सुन्‍दर नाभी होती है ।
आज कल फैशनपरास्‍ती परिवारों में छोटी बच्‍चीयों की नाभी की तरफ ध्‍यान दिया जाने लगा है इसलिये वे बच्‍चीयों की नाभी को गहरा सुन्‍दर बनाने के लिये पहले से ही नेवेल कार्क या नेवेल स्प्रिंग का उपयोग करने लगी है । नाभी को गहरा सुन्‍दर आकार देने का कार्य नी शेप पार्लर या नेवेल क्‍लीनिक में होता है ।
सावधानीया:- 1- नेवेल कार्क की साईज इतनी होना चाहिये ताकि नाभी पर लगाने में आसानी से नाभी के अन्‍दर चली जाये , कार्क इस प्रकार का ना हो जिससे त्‍वचा आदि छिले , कार्क को व नाभी को दो तीन दिन बाद निकालते रहना चा‍हिये एंव सफाई करते रहना चाहिये ।


2- कार्क को चिपकाने वाले बैन्‍डेज मेडिकेटेड होना चाहिये तथा इसे खीच कर इस प्रकार से न लगाये जिससे त्‍वचा में अनावश्‍यक खिचाव हो यदि खीच कर चिपकाया जाता है तो इससे नाभी के आस पास की त्‍वचा पर झुरूरीयॉ पड सकती है जिससे वहॉ की त्‍वचा एकदम खराब दिखेगी । इसलिये हमेशा इस बात को ध्‍यान में रखते हुऐ इसे चिपकाये । चिपकने वाले बैंडेज को लगाने का केवल इतना उदेश्‍य होता है ताकि कार्क गिरे नही । कार्क को चिपकाने के बाद कार्क के उपर से आप जो भी वस्‍त्र पहनते है उसे कार्क की प्‍लेट के उपर रखे ताकि कार्क गिरे नही एंव कार्क पर नियमित दबाब बना रहे । आप चाहे तो उपर से रिबिन आदि भी बॉध सकते है इससे एक तो कार्क गिरेगा नही दूसरा कार्क पर नियमित दबाब बना रहेगा इस दबा की वजह से नाभी को गहरा होने में मदद मिलेगी ।
नेवेल कार्क को नाभी के अन्‍दर लगा कर उसे इस प्रकार से किसी चिपकने वाले बैन्‍डेज से चिपका देते है ।




सुलभ नाभी उपचार& वीडियो


                           सुलभ नाभी उपचार
 चिकित्‍सा जैसा पुनित कार्य आज एक व्‍यवसाय बन चुका है इसके लिये हम मरीज स्‍वयम जबाबदार है क्‍योकि जब तक हमें चिकित्‍सकों द्वारा परिक्षण व उपचार के बडे बडे परचे नही पकडा दिये जाते हमे विश्‍वास ही नही होता । आज से पहले भी कई उपचार विधियॉ प्रचलन में थी परन्‍तु मुख्‍य धारा से जुडी चिकित्‍सा पद्धतियों के वार्चस्‍व की वजह से सस्‍ती सुलभ उपचार विधियॉ लुप्‍त होती चली गयी और बची खुची कसर पाश्‍चात चिकित्‍सा पद्धतियों के जानकारों ने इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कह कर पूरी कर दी । इसके पीछे भी कई कारण एंव हमारी अपनी मानसिकता भी जबाबदार रही है । यदि आप से कोई कहे की इस बिमारी का उपचार बिना किसी दबादारू के हो जायेगा, तो आप विश्‍वास नही करेगे , क्‍योकि आपको तो बडे बडे डॉ0 के बडे बडे परिक्षणों एंव उपचार की लत लग चुकी है । चलों हम मान लेते है कि बडे बडे डॉ0 के उपचार से आप ठीक हो जायेगे, परन्‍तु कभी कभी बडे से बडा डॉ0 भी जिस बीमारी का उपचार नही कर सकते उसे परम्‍परागत उपचारकर्ता आसानी से ठीक कर देते है इस प्रकार के कई उदाहरण भरे पडे है । मुक्षे अच्‍छी तरह से ज्ञात है हमारे पडोस में एक महिला के पेट में र्दद रहता था उसका उपचार बडे से बडे डॉ0 द्वारा किया जा रहा था परन्‍तु उसे किसी भी प्रकार का आराम नही मिल रहा था । चूंकि मरीज एक मध्‍यम वर्गीय परिवार से था, उपचार  मे अत्‍याधिक खर्च होने की वजह से घर का खर्च चलाना मुस्‍किल हो गया था इसलिये उन्‍होने उपचार कराना बन्‍द कर शासकीय चिकित्‍सालय में जो दबाये मिलती थी उसी पर निर्भर रहना शुरू कर दिया था, इस उपचार से उसे कुछ तो राहत मिल जाती थी परन्‍तु जैसे ही दबाओं का असर कम होने लगता था र्दद पुन: चालू हो जाता था । एक दिन वह महिला उसी महिला के पास गई जिसने उपचार से पूर्व कहॉ था कि हम आप के पेट के र्दद को नाभी के स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठा कर ठीक कर देगे और आप की बीमारी ठीक हो जायेगी । परन्‍तु उस महिला के पति ने मना कर दिया था एंव बडी बडी चिकित्‍सालयों में उसका उपचार चला परन्‍तु किसी प्रकार का लाभ न होने पर एंव आर्थिक‍ि रूप से परेशान होने के बाद उसे उस महिला की याद आई तो उसने सोचा कि चलों इसे ही दिखला दिया जाये । उस बूढी महिला ने उसकी नाभी के स्‍पंदन को देखा जो टली हुई थी महिला ने उसके पेट पर तेल लगा कर पेट का मिसाज कर नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठालने का प्रयास किया परन्‍तु रोग पुराना होने के कारण नाभी स्‍पंदन अपनी जगह पर ठीक से बैठ नही रही थी इसलिये उसने नाभी पर एक जलता हुआ दिया रखा फिर उपर से खाली लोटे को रखा इससे लोटे पर वेक्‍युम के कारण लोटा पेट पर चिपक गया एंव खिसकी हुई नाभी अपनी जगह पर आ गयी । इस उपचार से महिला के पेट का र्दद कम तो हो गया, परन्‍तु पूरी तरह से ठीक नही हुआ था इसलिये उसने कच्‍चे छोटे छोटे सात नीबूओं को फ्रिजर में रखवाया एंव दूसरे दिन एक एक नीबूओं को सीधे लेट कर नाभी पर रखते जाने की सलाह दी एंव यह उपचार नियमित रूप से सात दिनों तक करने से वह महिला पूरी तरह से रोगमुक्‍त हो गयी । अब आप ही विचार किजिये यदि उस महिला ने पहले या बडे बडे डॉ0 के उपचार के साथ ही यह उपचार करा लिया होता तो वह इतना परेशान न होती । अब इसी उपचार को वैज्ञानिक तरीके से देखा जाये तो यहॉ पर उस महिला के पेट के अंतरिक अंग सुसप्‍तावस्‍था में आ गये थे चूंकि किसी भी प्रकार की बीमारी के पूर्व शरीर के अंतरिक अंग पहले सुसप्‍तावस्‍था में आते है जो अपना सामान्‍य कार्य या तो कम करते है या फिर कभी कभी सामान्‍य अवस्‍था की अपेक्षा तीब्रता से करने लगते है दोनो अवस्‍थाओं में रोग की उत्‍पति होती है । प्राकृतिक रूप से किसी भी प्रकार के रोग होने पर शरीर स्‍वयम उसके उपचार की प्राकृतिक व्‍यवस्‍था करता है , जिस जगह पर किसी भी प्रकार की बीमारी होती है शरीर पहले वहॉ की समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्ति बढा देता है ठीक उसी प्रकार जैसे किसी शहर में कोई अपदा या अनहोनी की स्थिति में शासन उस शहर को सवेदनशील घोषित कर समस्‍त आवष्‍यकताओं की पूर्ति करता है ठीक इसी प्रकार शरीर के किसी हिस्‍से में रोग होने पर शरीर अपनी तरफ से तो प्रयास करता है । परन्‍तु इस प्रक्रिया में पेट के मिसाज नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाने एंव वर्फ की तरह से ठंडे नीबूओ को नाभी पर लगातार रखने से शरीर के उस हिस्‍से में एक असमान्‍य घटना होती है एंव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसके लिये सर्धष हेतु सजग हो कर प्रयास करने लगते है एंव शरीर समस्‍त आवश्‍यक पूर्तियॉ करने लगता है इसका सुखद परिणाम यह होता है कि उस रोगग्रस्‍त अंग को स्‍वस्‍थ्‍य होने के लिये समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्तियॉ यथासमय हो जाती है एंव एक बार सुस्‍पतावस्‍था के अंग संचालित होते ही अपना यथेष्‍ट कार्य नियमित रूप  से करने लगते है एंव रोग से मुक्‍त हो जाते है । नीबूओं का नाभी के ऊपर रख कर उपचार करने की विधि चीन व जापान की प्रकृतिक उपचार विधि है इससे पेट र्दद की समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का एंव बॉझपन का उपचार सदियों से होता आया है एंव इसके बडे ही आर्श्‍चजनक एंव सुखद परिणाम मिले है ।
                     नाभी से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार
1- टली हुई नाभी से समस्‍त प्रकार के रोगों का उपचार :-
2-औठों के फटने पर नाभी पर सरसों या देशी घी को लगाने से ओंठ नही फटते एंव ओंठों का रंग गुलाबी हो जाता है ।
3-सर्दी झुकाम होने पर नाभी में विक्‍स लगाने से विक्‍स का प्रभाव पूरे शरीर में बना रहता है एंव इससे सर्दी एंव झुकाम जल्‍दी ठीक हो जाता है ।
4-नाभी पर बादाम का तेल नियमित रूप से लगाने से त्‍वचा का रंग साफ होता है एंव त्‍वचा स्‍निग्‍ध मुलायम हो जाती है ।
4-चहरे पर मुंहासे होने पर नीम के तेल में युकेलिप्‍टस का तेल मिला कर नियमित लगाने से मुंहासे तथा ब्‍लैक हेड ठीक हो जाते है । परन्‍तु इसमें कुछ समय लगता है इसलिये उपचार नियमित तथा लम्‍बे समय तक करना चाहिये ।
5-यदि शरीर से र्दुगन्‍ध आती हो तो गुलाब जल में थोडा से डियोट्रेन्‍ट मिला कर लगा दीजिये फिर कमाल देखिये कई घन्‍टों तक पूरे शरीर में गुलाब जल तथा डियोड्रेन्‍ट की खुशबू बनी रहेगी ।
6- यदि पेशाब न उतरती हो तो चूंहे की लेडी को पानी में धोल कर नाभी पर लगा दे पेशाब आसानी से हो जायेगी ।
7-गर्मीयों में लू से बचने के लिये प्‍याज के रस में थोडा सा नमक मिला कर उसे नाभी पर लगा दे इससे लू से बचत होती है एंव शरीर से निकलने वाले पानी की पूर्ति भी हो जाती है ।
8-त्‍वचा पर दॉग धब्‍बे हो या त्‍वचा साफ नही दिखती हो उन्‍हे नीबू के रस को शहद में मिला कर कुछ दिनों तक नाभी में लगाने से त्‍चचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है एंव त्‍वचा साफ मुलायम हो जाती है ।
9-मच्‍छडों से बचने के लिये कपूर को पीपरमेन्‍ट में मिलाकर नाभी में लगाने से इसकी गंध से मच्‍छड आप के शरीर के पास नही आते एंव कॉटते नही । दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में एक प्रकार के ऐस मच्‍छड पाये जाते है जिससे बचना संभव नही था साथ ही इस इलाके में एक किस्‍म का ऐसा वायरस भी पाया जाता था जो पेडो के पत्‍तों पर पनपता था एंव यह पशु पक्षियों या अन्‍य माध्‍यमों से मानव शरीर में प्रवेश कर जाता था तथा इस वायरस से मनुष्‍यों की मृत्‍यु हो जाती थी । इस लिये वहॉ की जनजाति समुदाय मच्‍छडों से बचने के लिये नाभी पर कपूर को पिपरमेन्‍ट में मिला कर उसे नीलगिरि के तेल में पेस्‍ट बना कर नाभी पर लगाता था इससे उसे एक तो मच्‍छड नही कॉटते थे दूसरा किसी भी प्रकार के वायरस का प्रवेश इसकी गंन्‍ध की वजह से भी नही होता था । इसी समुदाय के लोग चूंकि दक्षिण अफ्रिका में सर्फो का अत्‍याधिक प्रकोप है इस लिये सॉपो से बचने के लिये वे कपूर में पिपरमेन्‍ट नीलगिरी का तेल एंव सर्फगंधा की जड का पेस्‍ट बना कर नाभी पर लगाते थे इसकी गंध से सांप इन व्‍यक्तियों के आस पास नही आते थे एंव इस अरूचिकर गंध की वजह से वे इन मनुष्‍यों को नही कांटते थे ।
10-पेचिस होने पर मकानों के आस पास जो दुधी घॉस पैदा होती है उसे पीस का पिलाने एंव उसकी जड को नाभी पर लगाने से किसी भी प्रकार की पेचिस हो तुरन्‍त फायदा होता है ।
11-जिन महिलाओं को बच्‍चा पैदा होते समय अत्‍याधिक पीडा होती हो या जो महिलाये प्रश्‍व पीडा से बचना चाहती हो वे अददाझारे की जड को पीस कर नाभी पर लगा ले इसके नियमित कुछ दिनों तक नाभी पर लगाने से बच्‍चा आसानी से हो जाता है । प्राचीन काल में जब किसी महिला के यहॉ बच्‍च होने वाला होता था तो दॉई उसे इस अददाझारे की जड को पीस कर महिला की नाभी पर लगा देती थी इससे बच्‍चा आसानी से बिना गर्भावति को कष्‍ट दिये हो जाता था एंव महिलाओं को किसी भी प्रकार की परेशानी नही होती थी ।
12-शूल का र्दद :- जिन महिलाओं को शूल का पेट र्दद होता हो वह खाली पेट नाभी स्‍पंदन का परिक्षण करे यदि स्पिंदन ऊपर की तरफ है तो यह शूल का र्दद है यह अत्‍याधिक कष्‍टदायक होता है एंव आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों व दवाओं से भी ठीक नही होता । यदि नाभी स्‍पंदन या नाभी नाडी की धडकन ऊपर की तरफ है तो आप सर्वप्रथम नाभी से एक अंगूल की दूरी पर अपने दॉये हाथ का अंगूठा रखिये एंव उसके ऊपर बॉये हाथ का अंगूठे को रखे नाभी को तेल से पूरी तरह से भर दीजिये ताकि आप अंगूठे से जब तेजी से दबाये तो नाभी पर भरा तेल आप के अंगूठे को भर दे अंगूठे का दवाब इतना होना चाहिये ताकि नाभी का पूरे तेल से अंगूठा पूरी तरह से डूब जाये , अब आप अंगूठे के दवाब को नाभी की तरफ तेजी से दबाते हुऐ जाये इस क्रम का बार बार आठ से दस बार करें , इसके बाद पुन: नाभी पर तीन अंगूलियॉ रखकर चैक करे यदि नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच आ गयी हो तो आप एक छोटा सा दिया जिसकी साईज नाभी से थोडी बडी हो उसे नाभी पर इस प्रकार रखे ताकि पहले जो धडकन थी वह दिये के खोखले भाग में आ जाये अब इसे दिये को आप किसी कपडे से या फीता जैसे कपडे या इलैस्टिक फीते से अच्‍छी तरह से इस प्रकार लगाये ताकि दिया नाभी पर अच्‍छी तरह से लगा रहे इसे लगा कर मरीज को घटे दो घंटे तक विश्राम करना चाहिये । इससे नाभी अपनी जगह आ जाती है परन्‍तु कभी कभी पुराने केशों में इस उपचार को सुबह खाली पेट दो तीन दिन के अन्‍तर से जब तक करना चाहिये जब तक नाभी स्‍पंदन या नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच नही आ जाती नाभी के धडकन के बीचों बीच आते ही शूल का र्दद फिर नही उठता यदि किसी को पतले दस्‍त होते हो तो वह भी ठीक हो जाता है ।  
13- पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ आज के बदलते लाईफ स्‍टाईल की वजह से सर्वप्रथम जो आम बीमारीयॉ या शिकायते हो रही है वह है पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ । जैसा कि चिकित्‍सा विज्ञान में कहॉ जाता है कि पेट स्‍वस्‍थ्‍य तो शरीर व मन स्‍वस्‍थ्‍य रहेगा यदि पेट बीमार हुआ तो शारीरिक व मानसिक व्‍याधियॉ धीरे धीरे मनुष्‍य को रोग की चपेट में लेना प्रारम्‍भ कर देते है ,इसका प्रारम्‍भ पाचनक्रिया दोषों से प्रारम्‍भ होता है जैसे पेट में हल्‍का र्दद ,भूंख का न लगना ,पेट भारी भारी ,कब्‍ज की शिकायत , शौच का पूरी तरह न होना , पेट से आवाज आना ,कभी कभी किसी को उल्‍टी की इक्‍च्‍छा होना ,पेट में गैस बनना जिसकी वजह से हिदय में पीडा या ह्रिदय रोग की संभावना ,कभी कभी किसी किसी को पतले दस्‍त हो जाना ,भोजन का न पचना , या कुछ खाद्य पदाथों के खाने से स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो जाना , चिडचिडापन , आलस्‍य , नींद का दिन में अधिक आना परन्‍तु रात्री में नींद न आना , बुरे बुरे ख्‍याल आना खॉसकर यह शिकायत महिलाओं में अधिक पाई जाती है कुछ महिलाओं को पेट में गैस की शिकायत के बाद ह्रिदय में र्दद उठता है आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों में कुछ नही निकलता ,इसके साथ उन्‍हे मानसिक तनाव ,पेट में भारीपन ,कब्‍ज , गैस का बनान,पेट से वायु का ह्रिदय की तरफ बढता हुआ महसूस होना यह प्राय: हिस्‍टीरिया के प्रकारणों में देखा जाता है इससे वह महिला इस प्रकार की हरकते करने लगती है जैसे उस पर किसी प्रेतात्‍मा या भूत प्रेत का साया हो वह एकटक निहारती है फिर बेहोश हो जाती है थोडी ही देर में उसे होश भी आ जाता है । यह सब बीमारी पेट से प्रारम्‍भ होती है । अर्थात पेट से सम्‍बन्धित कई छोटे छोटे लक्षण है जिन्‍हे हम प्राय: नजरअंदाज कर जाते है जो आगे चल कर किसी बडी बीमारी का कारण बनती है । चूंकि पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयों का मुंख्‍य कारण पेट के रस रसायनों की असमानता है , इसकी वजह से नाभी स्‍पंदन अपने स्‍थान से खिसक जाता है (जैसा कि नाभी चिकित्‍सा में कहॉ गया है) । इस प्रकार की बीमारीयों का उपचार नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग चिकित्‍सा में बडा ही आसान व प्राकृतिक है जिसमें किसी भी प्रकार के दवा दारू की आवश्‍यकता नही होती इसमें नाभी स्‍पंदन की पहचान कर उसे यथास्‍थान बैठाल दिया जाता है एंव शरीर के अंतरिक प्रमुख रोगअंगों की जाती है एंव उसे या उसके आस पास के ऐसे अंगों को पहचाना जाता है जो सुस्‍पतावस्‍था में आ गये हो या निष्‍क्रिय होने लगे हो उसे पहचान कर उसे सक्रिय कर देने से शरीर या पेट की क्रिया सामान्‍य रूप से कार्य करने लगती है एंव बीमारी हमेशा हमेशा के लिये दूर हो जाती है ।
उपचार:- मरीज को सीधे लिटा दीजिये उसकी नाभी पर तीन अंगूलियों को रख कर धीरे धीरे दबाव देते हुऐ महशूस करे की नाभी की धडकन किस तरफ है । कभी कभी यह धडकन नाभी के बहुत नीचे पाई जाती है और ऐसी स्थिति में नाभी पर अंगूलियों का दबाव बहुत गहरा देना पडता है नाभी जिस तरफ धडक रही हो उसके ऊपर सीने की तरफ जहॉ पर छाती का पिंजडा प्रारम्‍भ होता है उसके पास जो अंग पाये जा रहे हो उसे टारगेट किजिये ताकि उसी अंग पर आप को दबाव अधिक व बार बार देकर उसे सक्रिय करना है । यदि नाभी पेडरू की तरफ धडकती हो तो आप नीचे के अंगों को टारगेट करे । सर्वप्रथम आयल को नाभी पर डाल कर पूरे पेट का मिसाज इस प्रकार करे ताकि पूरा पेट सक्रिय हो जाये अब जिस अंग की तरफ नाभी की धडकन है उसके आखरी छोर तक नाभी से दबाव देते हुऐ जाये फिर पुन: आखरी छोर से नाभी तक आये इस क्रम को कई बार कर । पेट के मिसाज करते समय मरीज से यह अवश्‍य पूछ ले कि उसे अपेन्डिस या हार्निया तो नही है यदि है तो पेट की मिसाज सम्‍हल कर करे एंव दबाव अधिक न दे यदि नही है तो पूरे पेट की मिसाज दबाब देते हुऐ करते जाये इससे पेट के अंतरिक अंगों की मिसाज होने से समस्‍त अंग सक्रिय हो जाते है रस रसायनो की असमानता ठीक हो जाती है मिसाज खाली पेट ही करना चाहिये । आप ने अभी तक दो कार्य किये एक नाभी स्‍पंदन को पहचाना फिर उस अंग को टारगेट कर उसे मिसाज से सक्रिय किया अब आप को सबसे महत्‍वपूर्ण कार्य करना है वह है नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाना इसके लिये आप नाभी पर पुन: अपनी अंगूलियों से परिक्षण कर इसके बाद जिस तरफ नाभी खिसकी है उसे अंगूलियों में तेल लगाकर उसे नाभी की तरफ दबाव देते हुऐ लाये जब वह ठीक नाभी के बीचों बीच आ जाये तो उसके ऊपर एक दिया को उल्‍टा कर किसी कपडे से या इलैस्टिक रिबिन से बांध दीजिये ताकि वह नाभी पर अच्‍छी तरह दबाब देते हुऐ बंधी रहे अब रोगी को सीधा एक दो घंटे तक लेटे रहेने दीजिये । इससे उसके पेट से सम्‍बधित समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का उपचार आसानी से हो जाता है । परन्‍तु यहॉ पर एक बात का और ध्‍यान रखना है वह यह है कि कुछ लोगों की नाभी उपचार से कुछ दिनों के लिये ठीक हो जाती है परन्‍तु कुछ दिनों बाद पुन: टल जाती है इसलिये यह उपचार सप्‍ताह में एक बार या जरूरत के अनुसार एक दो दिन छोड कर करना पडता है ,इसलिये इस उपचार को घर वालो को सीख लेना चाहिये ताकि जरूरत पडे पर वह यह उपचार कर सके ।

Friday 21 September 2018

बिना किसी महगे इलाज के नाभी उपचार & वीडियो


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