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Saturday 22 September 2018

सुलभ नाभी उपचार& वीडियो


                           सुलभ नाभी उपचार
 चिकित्‍सा जैसा पुनित कार्य आज एक व्‍यवसाय बन चुका है इसके लिये हम मरीज स्‍वयम जबाबदार है क्‍योकि जब तक हमें चिकित्‍सकों द्वारा परिक्षण व उपचार के बडे बडे परचे नही पकडा दिये जाते हमे विश्‍वास ही नही होता । आज से पहले भी कई उपचार विधियॉ प्रचलन में थी परन्‍तु मुख्‍य धारा से जुडी चिकित्‍सा पद्धतियों के वार्चस्‍व की वजह से सस्‍ती सुलभ उपचार विधियॉ लुप्‍त होती चली गयी और बची खुची कसर पाश्‍चात चिकित्‍सा पद्धतियों के जानकारों ने इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कह कर पूरी कर दी । इसके पीछे भी कई कारण एंव हमारी अपनी मानसिकता भी जबाबदार रही है । यदि आप से कोई कहे की इस बिमारी का उपचार बिना किसी दबादारू के हो जायेगा, तो आप विश्‍वास नही करेगे , क्‍योकि आपको तो बडे बडे डॉ0 के बडे बडे परिक्षणों एंव उपचार की लत लग चुकी है । चलों हम मान लेते है कि बडे बडे डॉ0 के उपचार से आप ठीक हो जायेगे, परन्‍तु कभी कभी बडे से बडा डॉ0 भी जिस बीमारी का उपचार नही कर सकते उसे परम्‍परागत उपचारकर्ता आसानी से ठीक कर देते है इस प्रकार के कई उदाहरण भरे पडे है । मुक्षे अच्‍छी तरह से ज्ञात है हमारे पडोस में एक महिला के पेट में र्दद रहता था उसका उपचार बडे से बडे डॉ0 द्वारा किया जा रहा था परन्‍तु उसे किसी भी प्रकार का आराम नही मिल रहा था । चूंकि मरीज एक मध्‍यम वर्गीय परिवार से था, उपचार  मे अत्‍याधिक खर्च होने की वजह से घर का खर्च चलाना मुस्‍किल हो गया था इसलिये उन्‍होने उपचार कराना बन्‍द कर शासकीय चिकित्‍सालय में जो दबाये मिलती थी उसी पर निर्भर रहना शुरू कर दिया था, इस उपचार से उसे कुछ तो राहत मिल जाती थी परन्‍तु जैसे ही दबाओं का असर कम होने लगता था र्दद पुन: चालू हो जाता था । एक दिन वह महिला उसी महिला के पास गई जिसने उपचार से पूर्व कहॉ था कि हम आप के पेट के र्दद को नाभी के स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठा कर ठीक कर देगे और आप की बीमारी ठीक हो जायेगी । परन्‍तु उस महिला के पति ने मना कर दिया था एंव बडी बडी चिकित्‍सालयों में उसका उपचार चला परन्‍तु किसी प्रकार का लाभ न होने पर एंव आर्थिक‍ि रूप से परेशान होने के बाद उसे उस महिला की याद आई तो उसने सोचा कि चलों इसे ही दिखला दिया जाये । उस बूढी महिला ने उसकी नाभी के स्‍पंदन को देखा जो टली हुई थी महिला ने उसके पेट पर तेल लगा कर पेट का मिसाज कर नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान बैठालने का प्रयास किया परन्‍तु रोग पुराना होने के कारण नाभी स्‍पंदन अपनी जगह पर ठीक से बैठ नही रही थी इसलिये उसने नाभी पर एक जलता हुआ दिया रखा फिर उपर से खाली लोटे को रखा इससे लोटे पर वेक्‍युम के कारण लोटा पेट पर चिपक गया एंव खिसकी हुई नाभी अपनी जगह पर आ गयी । इस उपचार से महिला के पेट का र्दद कम तो हो गया, परन्‍तु पूरी तरह से ठीक नही हुआ था इसलिये उसने कच्‍चे छोटे छोटे सात नीबूओं को फ्रिजर में रखवाया एंव दूसरे दिन एक एक नीबूओं को सीधे लेट कर नाभी पर रखते जाने की सलाह दी एंव यह उपचार नियमित रूप से सात दिनों तक करने से वह महिला पूरी तरह से रोगमुक्‍त हो गयी । अब आप ही विचार किजिये यदि उस महिला ने पहले या बडे बडे डॉ0 के उपचार के साथ ही यह उपचार करा लिया होता तो वह इतना परेशान न होती । अब इसी उपचार को वैज्ञानिक तरीके से देखा जाये तो यहॉ पर उस महिला के पेट के अंतरिक अंग सुसप्‍तावस्‍था में आ गये थे चूंकि किसी भी प्रकार की बीमारी के पूर्व शरीर के अंतरिक अंग पहले सुसप्‍तावस्‍था में आते है जो अपना सामान्‍य कार्य या तो कम करते है या फिर कभी कभी सामान्‍य अवस्‍था की अपेक्षा तीब्रता से करने लगते है दोनो अवस्‍थाओं में रोग की उत्‍पति होती है । प्राकृतिक रूप से किसी भी प्रकार के रोग होने पर शरीर स्‍वयम उसके उपचार की प्राकृतिक व्‍यवस्‍था करता है , जिस जगह पर किसी भी प्रकार की बीमारी होती है शरीर पहले वहॉ की समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्ति बढा देता है ठीक उसी प्रकार जैसे किसी शहर में कोई अपदा या अनहोनी की स्थिति में शासन उस शहर को सवेदनशील घोषित कर समस्‍त आवष्‍यकताओं की पूर्ति करता है ठीक इसी प्रकार शरीर के किसी हिस्‍से में रोग होने पर शरीर अपनी तरफ से तो प्रयास करता है । परन्‍तु इस प्रक्रिया में पेट के मिसाज नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाने एंव वर्फ की तरह से ठंडे नीबूओ को नाभी पर लगातार रखने से शरीर के उस हिस्‍से में एक असमान्‍य घटना होती है एंव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसके लिये सर्धष हेतु सजग हो कर प्रयास करने लगते है एंव शरीर समस्‍त आवश्‍यक पूर्तियॉ करने लगता है इसका सुखद परिणाम यह होता है कि उस रोगग्रस्‍त अंग को स्‍वस्‍थ्‍य होने के लिये समस्‍त आवश्‍यकताओं की पूर्तियॉ यथासमय हो जाती है एंव एक बार सुस्‍पतावस्‍था के अंग संचालित होते ही अपना यथेष्‍ट कार्य नियमित रूप  से करने लगते है एंव रोग से मुक्‍त हो जाते है । नीबूओं का नाभी के ऊपर रख कर उपचार करने की विधि चीन व जापान की प्रकृतिक उपचार विधि है इससे पेट र्दद की समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का एंव बॉझपन का उपचार सदियों से होता आया है एंव इसके बडे ही आर्श्‍चजनक एंव सुखद परिणाम मिले है ।
                     नाभी से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार
1- टली हुई नाभी से समस्‍त प्रकार के रोगों का उपचार :-
2-औठों के फटने पर नाभी पर सरसों या देशी घी को लगाने से ओंठ नही फटते एंव ओंठों का रंग गुलाबी हो जाता है ।
3-सर्दी झुकाम होने पर नाभी में विक्‍स लगाने से विक्‍स का प्रभाव पूरे शरीर में बना रहता है एंव इससे सर्दी एंव झुकाम जल्‍दी ठीक हो जाता है ।
4-नाभी पर बादाम का तेल नियमित रूप से लगाने से त्‍वचा का रंग साफ होता है एंव त्‍वचा स्‍निग्‍ध मुलायम हो जाती है ।
4-चहरे पर मुंहासे होने पर नीम के तेल में युकेलिप्‍टस का तेल मिला कर नियमित लगाने से मुंहासे तथा ब्‍लैक हेड ठीक हो जाते है । परन्‍तु इसमें कुछ समय लगता है इसलिये उपचार नियमित तथा लम्‍बे समय तक करना चाहिये ।
5-यदि शरीर से र्दुगन्‍ध आती हो तो गुलाब जल में थोडा से डियोट्रेन्‍ट मिला कर लगा दीजिये फिर कमाल देखिये कई घन्‍टों तक पूरे शरीर में गुलाब जल तथा डियोड्रेन्‍ट की खुशबू बनी रहेगी ।
6- यदि पेशाब न उतरती हो तो चूंहे की लेडी को पानी में धोल कर नाभी पर लगा दे पेशाब आसानी से हो जायेगी ।
7-गर्मीयों में लू से बचने के लिये प्‍याज के रस में थोडा सा नमक मिला कर उसे नाभी पर लगा दे इससे लू से बचत होती है एंव शरीर से निकलने वाले पानी की पूर्ति भी हो जाती है ।
8-त्‍वचा पर दॉग धब्‍बे हो या त्‍वचा साफ नही दिखती हो उन्‍हे नीबू के रस को शहद में मिला कर कुछ दिनों तक नाभी में लगाने से त्‍चचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है एंव त्‍वचा साफ मुलायम हो जाती है ।
9-मच्‍छडों से बचने के लिये कपूर को पीपरमेन्‍ट में मिलाकर नाभी में लगाने से इसकी गंध से मच्‍छड आप के शरीर के पास नही आते एंव कॉटते नही । दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में एक प्रकार के ऐस मच्‍छड पाये जाते है जिससे बचना संभव नही था साथ ही इस इलाके में एक किस्‍म का ऐसा वायरस भी पाया जाता था जो पेडो के पत्‍तों पर पनपता था एंव यह पशु पक्षियों या अन्‍य माध्‍यमों से मानव शरीर में प्रवेश कर जाता था तथा इस वायरस से मनुष्‍यों की मृत्‍यु हो जाती थी । इस लिये वहॉ की जनजाति समुदाय मच्‍छडों से बचने के लिये नाभी पर कपूर को पिपरमेन्‍ट में मिला कर उसे नीलगिरि के तेल में पेस्‍ट बना कर नाभी पर लगाता था इससे उसे एक तो मच्‍छड नही कॉटते थे दूसरा किसी भी प्रकार के वायरस का प्रवेश इसकी गंन्‍ध की वजह से भी नही होता था । इसी समुदाय के लोग चूंकि दक्षिण अफ्रिका में सर्फो का अत्‍याधिक प्रकोप है इस लिये सॉपो से बचने के लिये वे कपूर में पिपरमेन्‍ट नीलगिरी का तेल एंव सर्फगंधा की जड का पेस्‍ट बना कर नाभी पर लगाते थे इसकी गंध से सांप इन व्‍यक्तियों के आस पास नही आते थे एंव इस अरूचिकर गंध की वजह से वे इन मनुष्‍यों को नही कांटते थे ।
10-पेचिस होने पर मकानों के आस पास जो दुधी घॉस पैदा होती है उसे पीस का पिलाने एंव उसकी जड को नाभी पर लगाने से किसी भी प्रकार की पेचिस हो तुरन्‍त फायदा होता है ।
11-जिन महिलाओं को बच्‍चा पैदा होते समय अत्‍याधिक पीडा होती हो या जो महिलाये प्रश्‍व पीडा से बचना चाहती हो वे अददाझारे की जड को पीस कर नाभी पर लगा ले इसके नियमित कुछ दिनों तक नाभी पर लगाने से बच्‍चा आसानी से हो जाता है । प्राचीन काल में जब किसी महिला के यहॉ बच्‍च होने वाला होता था तो दॉई उसे इस अददाझारे की जड को पीस कर महिला की नाभी पर लगा देती थी इससे बच्‍चा आसानी से बिना गर्भावति को कष्‍ट दिये हो जाता था एंव महिलाओं को किसी भी प्रकार की परेशानी नही होती थी ।
12-शूल का र्दद :- जिन महिलाओं को शूल का पेट र्दद होता हो वह खाली पेट नाभी स्‍पंदन का परिक्षण करे यदि स्पिंदन ऊपर की तरफ है तो यह शूल का र्दद है यह अत्‍याधिक कष्‍टदायक होता है एंव आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों व दवाओं से भी ठीक नही होता । यदि नाभी स्‍पंदन या नाभी नाडी की धडकन ऊपर की तरफ है तो आप सर्वप्रथम नाभी से एक अंगूल की दूरी पर अपने दॉये हाथ का अंगूठा रखिये एंव उसके ऊपर बॉये हाथ का अंगूठे को रखे नाभी को तेल से पूरी तरह से भर दीजिये ताकि आप अंगूठे से जब तेजी से दबाये तो नाभी पर भरा तेल आप के अंगूठे को भर दे अंगूठे का दवाब इतना होना चाहिये ताकि नाभी का पूरे तेल से अंगूठा पूरी तरह से डूब जाये , अब आप अंगूठे के दवाब को नाभी की तरफ तेजी से दबाते हुऐ जाये इस क्रम का बार बार आठ से दस बार करें , इसके बाद पुन: नाभी पर तीन अंगूलियॉ रखकर चैक करे यदि नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच आ गयी हो तो आप एक छोटा सा दिया जिसकी साईज नाभी से थोडी बडी हो उसे नाभी पर इस प्रकार रखे ताकि पहले जो धडकन थी वह दिये के खोखले भाग में आ जाये अब इसे दिये को आप किसी कपडे से या फीता जैसे कपडे या इलैस्टिक फीते से अच्‍छी तरह से इस प्रकार लगाये ताकि दिया नाभी पर अच्‍छी तरह से लगा रहे इसे लगा कर मरीज को घटे दो घंटे तक विश्राम करना चाहिये । इससे नाभी अपनी जगह आ जाती है परन्‍तु कभी कभी पुराने केशों में इस उपचार को सुबह खाली पेट दो तीन दिन के अन्‍तर से जब तक करना चाहिये जब तक नाभी स्‍पंदन या नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच नही आ जाती नाभी के धडकन के बीचों बीच आते ही शूल का र्दद फिर नही उठता यदि किसी को पतले दस्‍त होते हो तो वह भी ठीक हो जाता है ।  
13- पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ आज के बदलते लाईफ स्‍टाईल की वजह से सर्वप्रथम जो आम बीमारीयॉ या शिकायते हो रही है वह है पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ । जैसा कि चिकित्‍सा विज्ञान में कहॉ जाता है कि पेट स्‍वस्‍थ्‍य तो शरीर व मन स्‍वस्‍थ्‍य रहेगा यदि पेट बीमार हुआ तो शारीरिक व मानसिक व्‍याधियॉ धीरे धीरे मनुष्‍य को रोग की चपेट में लेना प्रारम्‍भ कर देते है ,इसका प्रारम्‍भ पाचनक्रिया दोषों से प्रारम्‍भ होता है जैसे पेट में हल्‍का र्दद ,भूंख का न लगना ,पेट भारी भारी ,कब्‍ज की शिकायत , शौच का पूरी तरह न होना , पेट से आवाज आना ,कभी कभी किसी को उल्‍टी की इक्‍च्‍छा होना ,पेट में गैस बनना जिसकी वजह से हिदय में पीडा या ह्रिदय रोग की संभावना ,कभी कभी किसी किसी को पतले दस्‍त हो जाना ,भोजन का न पचना , या कुछ खाद्य पदाथों के खाने से स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो जाना , चिडचिडापन , आलस्‍य , नींद का दिन में अधिक आना परन्‍तु रात्री में नींद न आना , बुरे बुरे ख्‍याल आना खॉसकर यह शिकायत महिलाओं में अधिक पाई जाती है कुछ महिलाओं को पेट में गैस की शिकायत के बाद ह्रिदय में र्दद उठता है आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों में कुछ नही निकलता ,इसके साथ उन्‍हे मानसिक तनाव ,पेट में भारीपन ,कब्‍ज , गैस का बनान,पेट से वायु का ह्रिदय की तरफ बढता हुआ महसूस होना यह प्राय: हिस्‍टीरिया के प्रकारणों में देखा जाता है इससे वह महिला इस प्रकार की हरकते करने लगती है जैसे उस पर किसी प्रेतात्‍मा या भूत प्रेत का साया हो वह एकटक निहारती है फिर बेहोश हो जाती है थोडी ही देर में उसे होश भी आ जाता है । यह सब बीमारी पेट से प्रारम्‍भ होती है । अर्थात पेट से सम्‍बन्धित कई छोटे छोटे लक्षण है जिन्‍हे हम प्राय: नजरअंदाज कर जाते है जो आगे चल कर किसी बडी बीमारी का कारण बनती है । चूंकि पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयों का मुंख्‍य कारण पेट के रस रसायनों की असमानता है , इसकी वजह से नाभी स्‍पंदन अपने स्‍थान से खिसक जाता है (जैसा कि नाभी चिकित्‍सा में कहॉ गया है) । इस प्रकार की बीमारीयों का उपचार नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग चिकित्‍सा में बडा ही आसान व प्राकृतिक है जिसमें किसी भी प्रकार के दवा दारू की आवश्‍यकता नही होती इसमें नाभी स्‍पंदन की पहचान कर उसे यथास्‍थान बैठाल दिया जाता है एंव शरीर के अंतरिक प्रमुख रोगअंगों की जाती है एंव उसे या उसके आस पास के ऐसे अंगों को पहचाना जाता है जो सुस्‍पतावस्‍था में आ गये हो या निष्‍क्रिय होने लगे हो उसे पहचान कर उसे सक्रिय कर देने से शरीर या पेट की क्रिया सामान्‍य रूप से कार्य करने लगती है एंव बीमारी हमेशा हमेशा के लिये दूर हो जाती है ।
उपचार:- मरीज को सीधे लिटा दीजिये उसकी नाभी पर तीन अंगूलियों को रख कर धीरे धीरे दबाव देते हुऐ महशूस करे की नाभी की धडकन किस तरफ है । कभी कभी यह धडकन नाभी के बहुत नीचे पाई जाती है और ऐसी स्थिति में नाभी पर अंगूलियों का दबाव बहुत गहरा देना पडता है नाभी जिस तरफ धडक रही हो उसके ऊपर सीने की तरफ जहॉ पर छाती का पिंजडा प्रारम्‍भ होता है उसके पास जो अंग पाये जा रहे हो उसे टारगेट किजिये ताकि उसी अंग पर आप को दबाव अधिक व बार बार देकर उसे सक्रिय करना है । यदि नाभी पेडरू की तरफ धडकती हो तो आप नीचे के अंगों को टारगेट करे । सर्वप्रथम आयल को नाभी पर डाल कर पूरे पेट का मिसाज इस प्रकार करे ताकि पूरा पेट सक्रिय हो जाये अब जिस अंग की तरफ नाभी की धडकन है उसके आखरी छोर तक नाभी से दबाव देते हुऐ जाये फिर पुन: आखरी छोर से नाभी तक आये इस क्रम को कई बार कर । पेट के मिसाज करते समय मरीज से यह अवश्‍य पूछ ले कि उसे अपेन्डिस या हार्निया तो नही है यदि है तो पेट की मिसाज सम्‍हल कर करे एंव दबाव अधिक न दे यदि नही है तो पूरे पेट की मिसाज दबाब देते हुऐ करते जाये इससे पेट के अंतरिक अंगों की मिसाज होने से समस्‍त अंग सक्रिय हो जाते है रस रसायनो की असमानता ठीक हो जाती है मिसाज खाली पेट ही करना चाहिये । आप ने अभी तक दो कार्य किये एक नाभी स्‍पंदन को पहचाना फिर उस अंग को टारगेट कर उसे मिसाज से सक्रिय किया अब आप को सबसे महत्‍वपूर्ण कार्य करना है वह है नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाना इसके लिये आप नाभी पर पुन: अपनी अंगूलियों से परिक्षण कर इसके बाद जिस तरफ नाभी खिसकी है उसे अंगूलियों में तेल लगाकर उसे नाभी की तरफ दबाव देते हुऐ लाये जब वह ठीक नाभी के बीचों बीच आ जाये तो उसके ऊपर एक दिया को उल्‍टा कर किसी कपडे से या इलैस्टिक रिबिन से बांध दीजिये ताकि वह नाभी पर अच्‍छी तरह दबाब देते हुऐ बंधी रहे अब रोगी को सीधा एक दो घंटे तक लेटे रहेने दीजिये । इससे उसके पेट से सम्‍बधित समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का उपचार आसानी से हो जाता है । परन्‍तु यहॉ पर एक बात का और ध्‍यान रखना है वह यह है कि कुछ लोगों की नाभी उपचार से कुछ दिनों के लिये ठीक हो जाती है परन्‍तु कुछ दिनों बाद पुन: टल जाती है इसलिये यह उपचार सप्‍ताह में एक बार या जरूरत के अनुसार एक दो दिन छोड कर करना पडता है ,इसलिये इस उपचार को घर वालो को सीख लेना चाहिये ताकि जरूरत पडे पर वह यह उपचार कर सके ।

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