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Monday 14 August 2017

ब्‍युटी पार्लर को ब्‍युटी क्‍लीनिक में क्‍यों बदले ?

              ब्‍युटी पार्लर को ब्‍युटी क्‍लीनिक में क्‍यों बदले ?
       
 ब्‍युटी पार्लर को ब्‍युटी क्‍लीनिक में क्‍यों बदले ? चूंकि आज के व्‍यवसायीक प्रतिस्‍पृद्धा की वजह से स्‍थानीय ब्‍युटी पार्लर घाटे का सौदा बन कर रह गयी है । इसका प्रमुख कारण है स्‍थानीय ब्‍युटी पार्लर से प्रशिक्षण लेकर ही महिलाये अपना ब्‍युटी पार्लर खोलती है उनके पास अत्‍याधुनिक ब्‍युटी पार्लस की तकनीकी का ज्ञान नही होता न ही वे अपने ग्राहकों को अत्‍याधुनिक ब्‍युटी पार्लस की सुविधाये उपलब्‍ध नही करा पाती । चिकित्‍सा से सम्‍बन्धित कई समस्‍याओं का निदान भी उनके पास नही होता । स्‍थानीय ब्‍युटी पार्लस में केवल फेसियल ,श्रृगार, आईब्रों , बालों का काटना ,बेक्‍स जैसा कार्य किया जाता है जो उनके आस पास खुले सभी ब्‍युटी पार्लस में उपलब्‍ध होता है इससे काम्‍प्‍टीशन बढता है एंव आमदनी भी कम होती है । ब्‍युटी क्‍लीनिक में ग्राहकों की कई सुविधायें उपलब्‍ध होती है । जैसे टैटू आर्ट , बी गम से बालों को बिना किसी र्दद के निकालना , पिर्यसिंग जिसमें नाक कान की तरह से शारीर के आकृषक अंगों को बिना र्दद के छेदना , मस्‍से मुंहासे एंव ब्‍लैक हैड का उपचार ,शरीर के कई आकृषक अंगों को उम्र के हिसाब से कपिंग विधि से उभारना , स्‍ट्रेचमाकै का उपचार , त्‍वचा को गोरी स्निगंध बनाना , नीशेप क्‍लीनिक में पेट को स्‍लीम आकृषक बनाने के साथ नाभी को गहरा  आकृषक बनाना, मेगनेट थैरापि , प्राकृतिक चिकित्‍सा , के साथ नाभी स्‍पंदन से सौन्‍र्द्धय समस्‍याओं का निदान , ची नी शॉग उपचार से सौर्न्‍दृय समस्‍याओं का उपचार आदि ।
ब्‍युटी क्‍लीनिक की कई ब्रॉच है ब्‍युटी पार्लर संचालक इसे अपनी सुविधानुसार घर बैठे इसे आसानी से किस्‍तों में एक एक ब्रॉच की जानकारीयॉ  सीख सकती है , इसकी समस्‍त जानकारीयॉ मेल से किस्‍तों में भेजी जाती है । आप अपनी सुविधानुसार एक एक बॉच में प्रवेश लेते जाये एंव जो भी मेंल आप को मिलते जाये उसका अध्‍ययन करते जाये । एक ब्रॉच का अध्‍ययन करने के बाद दूसरे ब्रॉच में प्रवेश ले एंव उसका अध्‍ययन करते जाते इस प्रकार थेवरी का नालेज आप को होता जायेगा प्रेक्टिकल ज्ञान हेतु इस प्रकार की व्‍यवस्‍था है जिसमें आप को आप के नगर में 20 छात्र होने पर यह प्रेक्टिकल बिलकुल नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जायेगा । यदि 20 से कम छात्र होगे तो आप को आप के आस पास के जिस नगर में यह नि:शुल्‍क प्रशिक्षण चलेगा उसमें आप को शामिल होना पडेगा । यहॉ पर एक बात का आप को ख्‍याल रखना आवश्‍य है प्रत्‍येक भेजे गये पाठय सामग्रीयों का एक्‍जाम मेल पर होगा एंव उत्‍तर आप को मेल से ही देना है उसमें पास होने पर ही आप को आगे का कोर्स भेजा जायेगा साथ ही आप को जो मेल भेजा जाता है उसकी सूचना तत्‍काल देना होगी तभी आगे का कोर्स भेजा जायेगा । चूंकि कई छात्र इस कोर्स में प्रवेश तो ले लेते है परन्‍तु उनका इस विषय में रूचि नही होती इस लिये यह व्‍यवस्‍था की गई है कि मेल के प्राप्‍त होने की सूचना प्रत्‍येक छात्र को देना होगी साथ ही भेजे गये विषयों में पास होना होगा । स्‍थानीय ब्‍लागर साईड पर कुछ लोगों द्वारा हमारे पाठयक्रम कों प्रकाशित किया है परन्‍तु आप को सूचित किया जाता है यह मात्र आप की सुविधा हेतु है इस पर आप निर्भर न रहे एंव मेल से ही अपने कोर्स को प्राप्‍त करते जाये । ब्‍लागर साईड की हम निन्‍दा नही करते इसकी हम भूरी भूरी प्रसंन्‍शा करते है । आप भी अपना ब्‍लाग बनाईये तथा दुसरों के ब्‍लाग पर जाते है तो उस पर कमेन्‍ट कीजिये, लाईक कीजिये,एंव उनके फ्रेन्‍ड बनिये यह अच्‍छी बात है इससे इस कोर्स के ज्ञान का आदान प्रदान होगा । आप अपनी समस्‍याओं को एक दुसरे से शेयर भी कर सकते है । हमारा दॉवा है यदि आप ब्‍युटी क्‍लीनिक को कोर्स कर लेते है तो अपने शहर में आप ही एक मात्र इस विषय के जानकार होगे । इसका फायदा आप को मिलेगा चूंकि आप अपने ग्राहको को ऐसी सुविधाये उपलब्‍ध करायेगे, जो आप के नगर के स्‍थानीय ब्‍युटी पार्लस उपलब्‍ध नही करा सकते इससे आप का प्रचार प्रसार बिना किसी विज्ञापन एंव खर्च के अपने आप होने लगेगा अर्थात आप का नेटवर्क अपने आप बनने लगेगा । इससे ग्राहकों की संख्‍या बढेगी एंव आप की आमदनी भी बढने लगेंगी । ब्‍यूटी क्‍लीनिक में किये जाने वाले कार्यो का पारिश्रमिक या शुल्‍क भी मुंह मॉगा मिलता है । साथ ही ब्‍युटी क्‍लीनिक की सेवाये अधिकतर साधन सम्‍पन्‍न परिवारो द्वारा कराई जाती है
    ब्‍युटी पार्लर संचालकों से हमारा निवेदन है, कि आप ब्‍युटी क्‍लीनिक के एक ब्रॉच को ही अपने ब्‍यूटी पार्लर शामिल कर इसकी उपलब्‍धीयों का परिक्षण कर ले । हमारा आप से बायदा है इसके बाद आप हमारे अन्‍य ब्रॉच को अपने यहॉ शामिल करेगे आप करेगे ।

   यह कोर्स बिलकुल नि:शुल्‍क है इसी लिये यह व्‍यवस्‍था की गयी है कि इसमें न तो हमारा पैसा खर्च हो न आप का । इस नि:शुल्‍क कोर्स को यदि आप घर बैठे करना चाहते हो तो इस ई मेल पर सम्‍पर्क करे battely2@gmail.com

तम्‍बाखू के नियमित सेवन से कैंसर

            तम्‍बाखू के नियमित सेवन से कैंसर
तम्‍बाखू के नियमित सेवन से कैंसर होने की संभावना बढती जा रही है । हमारे देश में इसकी संख्‍या चौकाने वाली है । बच्‍चों से लेकर बडे बुर्जूर्गो में तम्‍बाखू खाने के प्रकरण हमारे देश में अधिक मिलेगे । तम्‍बाखू के नियमित सेवन से मुंह में छाले होने लगते है धीरे धीरे यह फाईब्रोसेस कैंसर की अवस्‍था में तबदील होने लगते है जब तक इसका पता चलता है बहुत देर हो चुंकी होती है । अत: समय रहते तम्‍बाखू का सेवन बन्‍द कर देना चाहिये । परन्‍तु यह इतना आसान नही है एक बार तम्‍बाखू सेवन की लत लग जाये तो इससे बचना प्राय असंभव है । परन्‍तु दृड इक्‍च्‍दा शक्ति एंव कुछ नये प्रयासों से इससे बचा जा सकता है ।
बचाव :- यदि तम्‍बाखू खाने की प्रबल इक्‍च्‍छा हो एंव मुंह में छाले हो रहे हो तो आप निम्‍न प्राकृतिक साधन का प्रयोग कर कैसर एंव तम्‍बाखू खाने की प्रबल इक्‍च्‍छा से बच सकते है । अदरक एंव नीबू में कैंसर ग्रोथ एंव कैंसर सेल्‍स को खत्‍म करने का अदभुत गुण होता है । इसके नियमित कुछ दिनों तक सेवन करने से कैंसर से बचा जा सकता है ।
तम्‍बाखू खाने की प्रबल इक्‍च्‍छा:- ऐसे व्‍यक्ति जिन्‍हे तम्‍बाखू खाने की प्रबल इक्‍च्‍छा हो उन्‍हे अदरक के गुटका का प्रयोग करना चाहिये । इसे आप अपने घर पर बना सकते है इसके लिये आप अदरक को छोटे से छोटे टुकडे में कॉट लीजिये इसके बाद इसमें नीबू का रस इतना मिलाये जिससे यह पूरी तरह से उसमें डूब जाये इसमें इतना सेधा नमक मिलाये तथा इसे छाये में सूखने के लिये रख दीजिये परन्‍तु ध्‍यान इस बात का रखे कि इसे ढके नही अन्‍यथा अदरख खराब हो जायेगा उसमें फॅफूदी पड सकती है इसलिये इसे बिना ढॅके छॉये में सूखने दे गर्मीयों के दिनों में यह तीन चार दिन बाद यह पूरी तरह से सूख जायेगा । इसके बाद जब आप को पूरी तरह से विश्‍वास हो जाये कि यह पूरी तरह से सूख गया है अब इसे आप कि खाली बन्‍द डिब्‍बे में रख लीज‍िये । आप का अदरक व नीबू का खुटका तैयार है ।
जब भी आप को तम्‍बाखू खाने की इक्‍च्‍छा हो इसकी इतनी मात्रा जितनी आप तम्‍बाखू की लेते है मुंह में डाल कर धीरे धीरे चूंसते जाये व अन्‍त में इसे चबा ले । इसका स्‍वाद बहुत अच्‍छा लगेगा । इसे रात्री में सोते समय भी मुंह में रख कर चूसते रहे एंव सुबह इसे अच्‍छी तरह से चबा कर खॉ लीजिये ।
 इसके नियमित सेवन से मुंह के छाले एंव कैंसर से मुक्‍ती मिल जायेगी । यह अजमाया हुआ नुस्‍खा है । इससे काफी लोगों को लाभ हुआ है । फिर इसमें खर्च ही कितना है फिर इसे एक बार अजमाने में नुकसान क्‍या है । पहले आप उपयोग करले यदि लाभ नजर आये तो अपने अन्‍य मित्रों को इसके सेवन की सलाह दीजिये ।
      इस प्रकार की जनकल्‍याणकारी जानकारी को अपने अधिक से अधिक मित्रों को सोशल साईड पर सेन्‍ड करे ताकि कैंसर व मुंह में छॉले  से ग्रस्ति व्‍यक्ति इससे लाभ उठा सके ।   
                    जन जागरण नशामुक्ति केन्‍द्र

       जन जागरण एजुकेशनल एण्‍ड हेल्‍थ वेलफेयर सोसायटी सागर म0प्र0

Sunday 6 August 2017

मोटापा/सेल्‍युलाईट

             
    मोटापा/सेल्‍युलाईट

             सेल्‍युलाइट वसा कोशिकाओं की परते होती है , ये त्‍वचा के नीचे पाये जाने वाले उन ऊतकों में पायी जाती है ,जो अन्‍य ऊतकों व अंगों को सहारा देती है और जोडती है । यह वसा अधिकतर महिलाओं के जांधो व नितम्‍बों पर जमा होती है । इसमें त्‍वचा एकदम संतरे के छिलके की तरह खुरदरी दिखाई देती है ।अतरिक्‍त चर्बी और सेल्‍युलाई का सीधा सम्‍बन्‍ध होता है,इसमें बढी हुई वसा कोशिकायें संयोजक ऊतकों पर दबाब बनाती है ,इससे त्‍वचा कोमल दिखायी नही देती है । संयोजक ऊतक  (कलेक्टिव) के बीच की परत को मुलायम व लचीला बनाये रखने के लिये बायों फलेबनाईडस और विटामिन सी  लाभदायक होते है । विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में मौजूद टाक्‍सीन के कारण ऐसा होता है ,लेकिन यह भी देखा गया है कि महिलाओं के कनेक्‍टव टिश्‍यू पुरूषों के मुकाबले काफी दृढ होते है । इसलिये जैसे जैसे महिलाओं का बजन बढता जाता है । कोशिकायें फैलती जाती है ऐसी स्थिति में ये ऊतक की ओर यानी त्‍वचा की ऊपरी परत की तरफ फैलती जाती है ,जिससे त्‍वचा एकदम संतरे के छिलके जैसी दिखलाई देती है । पुरूषों में अकसर बसा का जमाव जांधों पर कम ही देखने को मिलता है । क्‍योकि उनकी बाहरी त्‍वचा काफी मोटी होती है । जिससे स्‍पष्‍ट तौर पर त्‍वचा के नीचे कितना वसा जमा हो रहा है ,इसका पता नही चलता ,लेकिन सेल्‍यूलाईट के पीछे मूल कारण अभी भी विशेषज्ञों के लिये कौतुक का विषय बना हुआ है ।   
    


अक्‍सर रक्‍त संचार  इस्‍ट्रजन  बढ जाने के कारण संयोजन ऊतक कमजोर हो जाते है और बॉटर रिटेशन की समस्‍या बढ जाती है । जिस के कारण चर्बी शरीर में जमा होने लगती है ,लसीका प्रवाह ठीक रहे,इसके लिये नियमित व्‍यायाम करना आवश्‍यक है । यदि ऐसा न किया जाये तो निष्‍कासन ठीक से नही हो पाता है ,और जरूरत से ज्‍यादा पानी के कारण त्‍वचा फूल जाती है जिससे रक्‍त ऊतकों तक नही पहुच पाता है । और फ्री रेडिकल्‍स निष्‍कासित नही हो पाते है । अन्‍य बसा या बसा कोशिकाओं की तरह सेल्‍युलाईट फैट भी कम कैलोरी वाला भोजन करने से प्रभावित होता है और इससे शरीर के वसा में कमी आती है लेकिन वसा धटान के बाबजूद फैट सेल्‍स मोजूद रहते है ,और कैलोरी लेने पर तुरन्‍त बढ जाते है । इसलिये सेल्‍यूलाईट को सर्जरी द्वारा खत्‍म करने की सलाह डाक्‍टर दिया करते है ।वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है कि ,बिना सर्जरी के सैल्‍युलाईट का उपचार संभव नही है ।परन्‍तु अन्‍य वैकल्‍पिक उपचारको का मानना है कि ऐसे ऊतकों व टाक्‍सीन को शरीर की मेटाबोलिक दर व ऊर्जा की खपत को बढाकर कम किया जा सकता है । फैट सेल्‍स जो शरीर में मौजूद है ,उनकी जानकारी को यदि भुला दिया जाये व सेल्‍स के बीच बचे फ्रीरेडिकल्‍स टाक्‍सीन तथा अव्‍यर्थ पदार्थो को यदि शरीर से निकाल दिया जाये तो इस प्रकार की समस्‍या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसीलिये चिकित्‍सक योगा व कसरत आदि करने की सलाह देते है ,शरीर व कोशिकाओं के मेटाबोलिक दर व ऊर्जा खपत को बढाकर शरीर से अव्‍यर्थ पदार्थो को निकाला जा सकता है ।
     एन्‍टी आक्‍सीडेंटस हमारे शरीर का फ्रिरेडिकल्‍स से बचाव करता है । एन्‍टी आक्‍सीडेंटस विटामिंस एंजाईम्‍स व हर्बल एक्‍सटैक्‍ट्रस होते है । इसमें विटामिन सी ,विटामिन ई और बीटा कैरोटीन प्रमुख है । ये ताजे फलों सब्‍जीयों जडी बूटीयों आदि में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है । शरीर का रक्‍त संचार ठीक से हो इसके लिये आवश्‍यक है कि रक्‍त संचार को ठीक करने के प्राकृतिक उपाय एव बॉडी की मिसाज, या बॉडी ब्रश भी इसके लिय उपयोगी है । हल्‍के हल्‍के मुलायम ब्रश से बॉडी की मिसाज करने से या असेंशियल आलय से त्‍वचा को माईश्‍चराईज करने से रक्‍त संचार उचित तरिके से होता है । ब्‍युटी क्‍लीनिक में बी गम मिसाज से भी रक्‍त संचार को उचित तरीके से कम किया जा सकता है । चीन की परम्‍परागत एक उपचार विधि है जिसे ची नी शॉग कहते है । मोटापा कम करने में आज कल इसका उपयोग समृद्धसील राष्‍ट्रों में काफी उत्‍साह के साथ किया जा रहा है चूंकि इसके परिणाम काफी आशानुरूप रहे है । इस उपचार विधि का एक और लाभ यह है कि इसमें मोटापे को घटाने के लिये पेट का मिसाज किया जाता है । इससे पेट के अंतरिक महत्‍पूर्ण अंग जिनका उत्‍तदायीत्‍व  हमारे शरीर के पाचन तंत्र को उचित तरीके से कार्य लेना है । ची नी शॉग उपचार से पेट के अंतरिक अंग मजबूत होते है एंव मेटाबोलिक की दर को बढाकर अनावश्‍क चर्बी को आशानुरूप कम किया जाता है । चीनी शॉग उपचार से हमारे शरीर की प्रिरेडिकल्‍स एंव टाक्‍सीन आसानी से निकल जाती है इससे त्‍वचा पर झुरूरीया नही पडती साथ ही त्‍वचा स्निग्‍ध मुलाय हो जाती है । ची नी शॉग उपचार से हमारे शरीर की सर्विसिंग हो जाती है ।  प्राकृतिक उपायों में रसेदार भोजन व ताजे फल तथा अधिक पानी पीने एंव व्‍यायाम ,योगा आदि कर शरीर की ऊर्जा व मेटाबोलिक दर को बढायें ताकि शरीर से अव्‍यर्थ पदार्थ बाहर निकल जायें । मॉस पेशियों के अधिक इस्‍तेमाल से रक्‍त व लसिका सर्कुलेशन ठीक रहता है इससे पसीना अधिक आता है त्‍वचा डीटाक्सिफाई होती है एंव चर्बी कम हो जाती है ।    
    अरोमाथैरेपी :- मोटापा घटाने या कम करने में अरोमाथैरेपी के आयल भी उपयोगी है । मिसाज के लिये रोजमेरी फेनल ,असेशियल आयल में दो तीन बूद थोडा सा बादाम का तेल मिलाकर इसे मेन नर्व जो शरीर व अंगों के मध्‍य लाईन पर मौजूद होते है इसे इस्‍टूमुलेट (उत्‍तेजित) करने से शरीर व कोशिकाओं के मेटाबोलिक दर व ऊर्जा की खपत बढती है  एंव शरीर से अत्‍याधिक पसीना निकलता है । इससे शरीर का टॉक्सिन पानी पसीने के माध्‍यम से बाहर आने लगता है जो कि शरीर का मोटापा कर करता है । पेट पर मोटापा कम करने एंव चबी घटाने के प्रमुख छै: पाईन्‍ट है । जिसका विवरण एक्‍युपंचर चिकित्‍सा में किया गया है । मोटापा कम करने व चर्बी को घटाने एंव मेटाबोलिक दर को बढाने के ये छै: प्रमुख बिन्‍दू है जिसका प्रयोग एक्‍युपंचर ,नेवल एक्‍युपंचर के साथ ची नी शॉग उपचार तथा एक्‍युप्रेशन चिकित्‍सा पद्धतियों के साथ मिसाज थैरापी में किया जाता है । उक्‍त पाईन्‍ट सम्‍पूर्ण शरीर के मोटर नर्व को कवर करते है ,इसीलिये यंत्र निर्माताओं ने मोटापा कम करने व नर्व को इस्‍टुमूलेट करने हेतु कुछ इस प्रकार के यंत्र करने हेतु कुछ इस प्रकार के यंत्रों का निर्माण किया है जिसमें उक्‍त पाईन्‍ट को दबाब देने व स्‍टुमूलेट करने की व्‍यवस्‍था रहती जैसे बटर फलाई एड ,स्‍लीम सोना बेल्‍ट आदि ,बटर फलाई तितली के आकार का छोटा सा यंत्र होता है इसमें पेट पर चिपका देते है इसके स्‍वीच को चालू करने से मशीन में बायबरेशन होता है यह बायबरेशन प्रमुख नर्व केन्‍द्र को उत्‍तेजित करते है इससे शरीर में ऊर्जा की खपत बढती है व शरीर के टाक्‍सीन पसीने के द्वारा बाहर निकलने लगते है । शरीर के इस प्रमुख बिन्‍दूओं को इस्‍टीमुलेट करने के कई तरीके प्रचलन में है । 
एन्‍टी आक्‍सीडेंटस :- एन्‍टी आक्‍सीडेंटस हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्‍स से बचाव करता है ,फ्री रेडिकल्‍स एक ऐसा तत्‍व है ,जो शरीर के कोशिकाओं के आक्‍सीकरण क्रिया के बाद बेकार (अव्‍यर्थ पदार्थ) बचा रहता है । शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इसे शरीर से बाहर निकालने का प्रयास करती रहती है ,परन्‍तु इसके बाद भी फ्रीरेडिकल्‍स शरीर में बच रहते है ,इनके जमने से शरीर की अन्‍य कोशिकाओं के कार्यो में अनावश्‍यक अवरोध उत्‍पन्‍न होता है ,मृत सेल्‍स शरीर से बाहर नही निकल पाते ,नये सेल्‍स का निमार्ण अवरूद्ध हो जाता है इससे अन्‍य व्‍यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर नही निकल पाते । वैज्ञानिकों का मानना है कि इसी फ्रीरेडिकल्‍स की वजह से वृद्धावस्‍था होती है । त्‍वचा व मॉसमेशियों में झुरूरीयॉ उत्‍पन्‍न होने लगती है । एण्‍टी आक्‍सीडेंटस को रोका जा सकता है ,सैल्‍युलाईट ट्रीटमेन्‍ट से मॉसपेशियों में जमने बाले ब्‍यर्थ पदार्थो व फ्रीरेडिकल्‍स को बाहर निकालने की कई प्राकृतिक विधियॉ प्रचलन में है । सौंर्द्धय उपचार में इनका प्रयोग सदियों से होता आया है कुछ लोगों में यह गलत धारण है कि सैल्‍युलाईट उपचार से केवल मोटापा कम किया जाता है । परन्‍तु ऐसा नही है कि इसका उपचार से त्‍वचा का ढीलापन उसकी झुरूरीयॉ तथा त्‍वचा की स्‍वाभाविकता को लम्‍बे समय तक कायम रखा जा सकता है ।                                                 

पेट का अनावश्‍यक मोटापा

                     पेट का अनावश्‍यक मोटापा
     
जापान ,चीन एंव अन्‍य पश्चिमी देशों में प्राकृतिक चिकित्‍सकों द्वारा पेट के अनावश्‍यक मोटापे को कम करने के लिये कई विधियॉ अपनाई जाती है । उनमें से प्रमुख है पेट पर आडी रेखा में नाभी के बीचों बीच से होते हुऐ एक नाडे या इलैस्टिक को बॉधना प्रमुख है । यह विधि चीन , जापान व अन्‍य पश्चिमी राष्‍ट्रों में काफी प्रचलित है । कई मिसाज उपचारकर्ताओं द्वारा पेट के मिसाज विधि से भी पेट के मोटापे को कम किया जाता है । सेल्‍युलाइट वसा कोशिकाओं की परते होती है , ये त्‍वचा के नीचे पाये जाने वाले उन ऊतकों में पायी जाती है ,जो अन्‍य ऊतकों व अंगों को सहारा देती है और जोडती है । यह वसा अधिकतर महिलाओं के जांधो व नितम्‍बों पर जमा होती है । ऐसे पुरूष तथा महिलाये जो सामान्‍यत: अरामतलब जिन्‍दगी बसर करती है उनके पेट पर अनावश्‍यक चर्बी के जमने के कारण पेट पर अनावश्‍यक मोटापा देखा जाता है । पेट के मोटापा को बिना किसी दबा दारू के कम करने की यह विधि काफी कारगर साबित हुई है । इस उपचार विधि का प्रयोग प्राकृतिक उपचारकर्ताओं द्वारा बडे ही विश्‍वास के साथ किया जा रहा है जिसके बडे ही आशानुरूप परिणाम भी मिले है । जन सामान्‍य स्‍वंय इस उपचार विधि का प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्‍त कर सकते है ।

विधि:- पेट के अनावश्‍य मोटापे को कम करने के लिये आप को एक नाडा या आज कल बाजारों में रबड या इलैस्टिक मिलती है उसे नाभी से पेट पर आडी रेखा में बॉधना है । इसके नाभी से पेट पर आडी रेखा में बॉधने का मूल उदेश्‍य यह है कि इसे इतना दबाब देते हुऐ बॉधे ताकि पेट पर किसी प्रकार की परेशानी न हो पेट पर पाये जाने वाले एस टी-25 बिन्‍दू इस दबाब की वजह से सक्रिय हो जाते है । एक्‍युपंचर चिकित्‍सक इस एसटी-25 पाईट पर एक्‍युपंचर की बारीक सूईयॉ चुभा कर उपचार करते है एक्‍युप्रेशर चिकित्‍सक इस पाईन्‍ट पर गहरा दबाब देकर पेट के अनावश्‍यक मोटापा को कम करते है । पेट व नाभी से आडी रेखा में नाडे के दबाब से पेट की अनावश्‍यक चर्बी धीरे धीरे कम होने लगती है इस नाडे को पेट पर लम्‍बे समय तक बॉधे रहना है इसे तीन माह से छै: माह तक बॉधने से उचित परिणाम मिलने लगते है । पेट की चर्बी कम हो जाती है एंव पेट स्‍लीम सुन्‍दर शरीर के अनुपात में आ जाता है आप भी इस सरल प्राकृतिक विधि को अपना कर अपने पेट के अनावश्‍यक मोटापे से निजात पा सकते है ।