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Thursday 24 November 2016

इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक की मान्‍यता के रास्‍ते में रोडा

         इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक की मान्‍यता के रास्‍ते में रोडा  
    यह बहुत ही दु:ख का विषय है कि इलैक्‍ट्रोहोम्‍योपैथिक जैसी सरल एंव उपयोगी चिकित्‍सा पद्धति अपने अधिकारों को प्राप्‍त न कर सकी । इस चिकित्‍सा पत्द्धति के हजारों लाखों छात्रों एंव चिकित्‍सकों का भविष्‍य अंधकार में है । इस चिकित्‍सा पद्धति के शैक्षणिक संस्‍थाओं एंव चिकित्‍सा व्‍यवसाय हेतु पंजियन करने बाले संचालकों द्वारा अपने स्‍वार्थपूर्ति हेतु विभिन्‍न न्‍यायालयों की शरण लेकर सशर्त स्‍ट्रे तो कभी शैक्षणिक संस्‍थाओं पर आरोप प्रत्‍यारोप एंव यह कहना कि भारत में केवल हमारी ही संस्‍था को संचालन का आदेश न्‍यायालय ने दिया है अत: हमारी संस्‍था ही मान्‍यता प्राप्‍त है, अन्‍य संस्‍थाये नही । देश के विभिन्‍न न्‍यायलयों द्वारा दिये गये निर्णय हो, या आदेश, सभी अभी आधे अधूरे ही है, इसका कारण यह है कि किसी भी इलै0हो0 शैक्षणिक संस्‍था या बोर्ड आदि को किसी न किसी शर्त के तहत ही इस प्रकार के आदेश दिये गये है । जैसे डिग्री व डिप्‍लोमा आदि प्रदाय करने का अधिकार उन्‍हे नही होगा वे केवल सार्टिफिकेट कोर्स का संचालन कर सकते है । डिग्री ,डिप्‍लोमा देने का अधिकार यूनिवरसिट को है । इसी प्रकार से एक आदेश और प्रसारित हुआ है जिसमें इलैक्‍ट्रोहोम्‍योपै‍थिक चिकित्‍सको को डॉक्‍टर लिखने का अधिकार नही है । यदि इले0होम्‍यो0चिकित्‍सक अपने नाम के साथ डॉ0 शब्‍द का प्रयोग करता है या करते हुऐ पाये जाता है तो उसे  चिकित्‍सा शिक्षा संस्‍था (नियंत्रण) अधिनियम 1973 की धारा-7 ग के अनुसार अभिधान डॉक्‍टर का उपयोग केवल उपरोक्‍त मान्‍य चिकित्‍सा पद्धतियों में रजिर्स्‍टड मेडिकल प्रेक्‍टीश्‍नर ही कर सकते है । अपात्र व्‍यक्ति द्वारा उक्‍त अभिधान का उपयोग चिकित्‍सा शिक्षा संस्‍था नियत्रण अधिनियम 1973 की धारा 8(2) के अर्न्‍तगत 3 वर्ष कारावास या रूपये 50000 जुर्माने या दोनो से दण्‍डनीय होगा
       परन्‍तु इसके बाद भी इसकी कई शैक्षणिक संस्‍थाओं एंव रजिस्‍ट्रेशन बोर्ड आदि ने अपना कारोबार यथावत रख डिग्री डिप्‍लोमा आदि प्रदाय करते रहे । इसी प्रकार की कई भ्रमित करने वाली स्थितियों के बीच छात्र व चिकित्‍सक उलक्षते रहे । इलेक्‍ट्रो होम्‍योपै‍थिक की मान्‍यता का दम भरने बालों ने अपनी  झोलियॉ भरने के नये नये तरीके इस प्रकार से निकाले कि उनकी पॉचों अंगुलियॉ धी में और मुंह कढाई में थी । परन्‍तु नुकसान केवल और केवल इस पैथी के छात्रों व चिकित्‍सकों को उठाना पड रहा है । यहॉ पर यह बात अपनी जगह पर सर्वविदित है कि कोई भी चिकित्‍सा पद्धति अपने उदभव से ही मान्‍यता लेकर पैदा नही होती , किसी भी चिकित्‍सा पद्धति को मान्‍यता हेतु अपनी उपयोगिता या वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर मान्‍यतायें मिलती रही है । तथाकथित आयुर्वेद ,एंव होम्‍योपै‍‍थिक चिकित्‍सा पद्धतियॉ प्रारम्‍भ से ही मान्‍यता प्राप्‍त चिकित्‍सा पद्धतिया नही थी । आयुर्वेद को सन 1970 तथा होम्‍योपै‍थिक को सन 1973 में शासकीय मान्‍यतायें प्राप्‍त हुई है A आयुर्वेदिक हो या होम्‍योपै‍थिक हो इन्‍हे अपनी उपयोगिता को सिद्ध करने के बाद ही समय समय पर इन्‍हे मान्‍यतायें मिली है । परन्‍तु इसे र्दुभाग्‍य ही कहना होगा , कि इतने लम्‍बे अर्स के बाद भी इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा को मान्‍यता नही मिली लाखों चिकित्‍सकों एंव छात्रों का भविष्‍य अंधकार में है ,परन्‍तु इसके संचालनकर्ताओं द्वारा आधे अधुरे निर्णयों का सहारा लेकर आज भी छात्रों व चिकित्‍सकों के साथ खुले आम खिलवाड किया जा रहा है । शासन भी मौन तमाशा देख रही है ,कुछ राज्‍यों की राजनैतिक पार्टीयों ने अपनी रोटी भी सेंकी ,इनका खूब जम कर इस्‍तमाल भी किया गया , चूंकि वे जानते है कि ये अच्‍छा वोट बैंक है , उल्‍टे सीधे आदेशों को तोड मरोड कर ,पेश करने वालों की कतार में अब राजनैतिक पाटीयॉ भी , भीड एकत्र कर बहुमत बटोर , वोट खीच की राजनीति कर रही है ।] चिकित्‍सा व्‍यवसाय अधिनियम लागू हो जाने के बाद प्रत्‍येक चिकित्‍सकों को जिला स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी के यहॉ अपने पंजियन तथा चिकित्‍सायल का पंजियन कराना अनुवार्य है , परन्‍तु इस अधिनियम के प्रावधानों के अर्न्‍तगत इलेक्‍ट्रो होम्‍योपै‍थिक मान्‍यता प्राप्‍त नही है फिर इनके चिकित्‍सालयों का पंजियन सी0 एम0 ओ0 के यहा नही हो सकता , अर्थात ये चिकित्‍सा व्‍यवसाय करने हेतु कानून अमान्‍य है । इलैक्‍ट्रो होम्‍योपै‍थिक का संरक्षण व मान्‍यता दिलाने का दम भरने वाली पार्टीयों ने कहॉ कि , हमने सी0 एम0 ओ0 के यहॉ पर एक अलग से इसके पंजियन का रजिस्‍ट्रर रखबा दिया है , इस प्रकार के भ्रमित करने वाले अश्‍वासनों से भ्रमित छात्र व चिकित्‍सक अपने आप को अकेला मुसीबतों से धिरा पाता है । ,तथाकथित कुछ संस्‍थाओं का यह दावा है कि उन्‍होने विश्‍वविद्यलयों से सम्‍बृद्धता ले रखी है , कुछ प्राईवेट विश्‍वविद्यलयों द्वारा जो सम्‍बृत्द्धता दी गयी है उसमें उन्‍होने स्‍पष्‍ट कर रखा है कि उक्‍त कोर्स चिकित्‍सा व्‍यवसाय हेतु मान्‍य न हो कर केवल ज्ञानवर्धन हेतु संचालित है , इस प्रकार के भ्रमित कारोबार से जुडे लोगों के बहकावे में न आकर इसके छात्रों एंव चिकित्‍सकों को चाहिये कि वे आपस में सोसल मीडिया या अन्‍य साधनों के माध्‍यम से एक दूसरे से जुडें एंव इसकी सच्‍चाई को अपने साथीयों के बीच शेयर करे तभी इस पैथी का उद्धार संभव है । आप सभी इलैक्‍ट्रो होम्‍योपै‍थिक चिकित्‍सको से निवेदन है कि हमारी बात जहॉ तक पहूंचे आप सभी इसे उन तक पहुचाने में इसे शेयर करे ,एंव शासन ,तथा विभिन्‍न न्‍यायालयों के आदेशों को स्‍केन कर सोसल मीडिया पर डालते रहे ताकि इस प्रकार की जानकारीयॉ सभी चिकित्‍सको तक समय समय पर पहूंचती रहे । चिकित्‍सा व्‍यवसाय अधिनियम की जानकारीयॉ हमने अपनी साईड पर दे रखी है चिकित्‍सक व छात्र हमारी साईड से इसे प्राप्‍त कर सकते है ।
 आप हमे कमेन्‍ट करे इस पैथी से सम्‍बन्धित न्‍यायलयों व शासन आदि के आदेश हम आप को आपके कमेन्‍ट पश्‍चात भेजने का हर संभव प्रयास करेगे ।