फर्जी चिकित्सकों /झोला छाप डॉक्टरों के खिलाप संचालनालय स्वास्थ्य सेवाये मध्यप्रदेश का आदेश
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाये
मध्य
प्रदेश
क्रमाक/ अ प्र शा /सेल-6 /एफ-292/ 2011/1084 भोपाल दिनांक
26-8-2011
प्रति,
1- समस्त कलेक्टर
मध्यप्रदेश
2- समस्त जिला
पुलिस अधिक्षक
मध्यप्रदेश
विषय:- फर्जी चिकित्सकों /झोला छाप डॉक्टरों /मध्यप्रदेश
में चिकित्सा व्यवसाय कर रहे अन्य राज्य में पंजीकृत फजी चिकित्सकों के
विरूद्ध कार्यवाही ।
सर्न्दभ :- संचालनालय का पत्र क्रमाक /अप्रशा/सेल-4/
08/एफ-292/1044/दिनाक 25-02-2008
प्रदेश में
अपात्र फर्जी चिकित्सकों,अन्य प्रदेशों में पंजीकृत किन्तु मध्यप्रदेश में
अमान्य चिकित्सा पद्धतियों झोला छाप चिकित्सकों द्वारा रोगियों का उपचार किया
जा रहा है अधिकाश ऐसे चिकित्सक एलोपैथी पद्धति की औषधिया रोगियों को दे रहे है ।
बिना उपयुक्त ज्ञान के इस प्रकार का उपचार घातक होता है । एसे कई प्रकारण सामने
आये है जहां अपात्र फजी चिकित्सको द्वारा गलत इंजेक्शन देने से रोगियों को एब्सेस
गैगरीन आदि हो गया है । जिससे
तथा गलत इंजेक्शन के रियेक्शन से रोगियों की मृत्यु भी
हो गई है ।
उपरोक्त तथ्यों
एंव समय समय पर माननीय उच्च्ा न्यायालय के आदेशो के पालनमें संदर्भित पत्र
क्रमाक 1044 दिनांक 20;02;2008 द्वारा विभिन्न मान्य चिकित्सा पद्धतियों पर
चर्चा करते हुऐ फजी चिकित्सकों /झोला छाप डॉक्टरों आदि पर विभिन्न चिकित्सा
रेग्यूलेट्री प्रावधनो के अन्तर्गत कार्यवाही हेतु दिशा निर्देश जारी किये गये
थे किन्तु प्रदेश में अवैध चिकित्सा व्यवसाय पर कोई ठोस कार्यवाही नही की गई है
। माननीय मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा भी अवैध चिकित्सा व्यवसाय पर चिन्ता
व्यक्त करते हुऐ प्रकरण क्रमाका486/छिदवाडा/10 में निम्न अहनुशसा की गयी है ।
जितने भी तथाकथित
डॉक्टर पाये जावे,जिनके पास कोई डिग्री नही है उनके विरूद्ध कठोरता पूर्वक एंव
गंभीरता पूर्वक कार्यवाही की जावे, ताकि व्यक्यिों को उनके द्वारा किये जाने वाले
इलाज से कोई क्षति न हो
उपरोक्त के
संदर्भ में अपात्र व्यक्तियों द्वारा किये जा रहें चिकित्सा व्यवसाय पर अंकुश लगाने के लिये
विधि अनुसार निम्न प्रावधान उपलब्ध है ।
1-मध्यप्रदेश उपचार्यागृह तथा रूजोपचार
संबधी स्थापनाए(रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन)
अधिनियम 1973 की धारा-3 कें प्रावधान अनुसार निजी क्षेत्र
के समस्त उपचार्यागृह या रूजोपाचार संबधी स्थापना (नर्सिग होम/ निजी चिकित्साल/परामर्श
केन्द्र ,औषधालय,प्रयोगशाला,एक्सरे,डेन्टल क्लीनिक सहित सभी क्लीनिक इस्टेब्लेश्मेन्ट
उक्त एक्ट के अर्न्तगत रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञप्ति के बिना खोले जा सकते है न
रखे जा सकते है और न चलाये जा सकते है ।
उक्त धारा-3 के उल्लधन करने पर अधिनियम 1973
की धारा -8(क)(एक)तथा (दो)के अर्न्तगत जुर्माने तथा 3 माहतक के कठोर कारावास का
प्रावधान है ।
मध्यप्रदेश
उपचार्यागृह तथा रूजोपचार संबधी स्थापनाए (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन)
अधिनियम 1973 के अर्न्तगत विधि अनुसार केवल निम्न मान्य
चिकित्सा पद्धतियों के अर्न्तगत कार्यरत क्लीनिक इस्टेब्लेश्मेन्ट / नर्सिग
होम आदि के पंजीयन का प्रावधान है :-
अ- आधुनिक
चिकित्सा पद्धति एलोपैथी :- इसके अर्न्तगत चिकित्सा व्वसाय हेतु मेडिकल
काडन्सिल ऑफ इंडिया एक्ट 1956 की धारा 15(1)के अर्न्तगत मान्य अर्हताधारी का
मध्यप्रदेश मेडिकल काउसिन्सल अधिनियम 1987 के अर्न्तगत पंजीयन अनुवार्य है ।
ब- भारतीय
चिकित्सा पद्धति :-इसके अर्न्तगत चिकित्सा व्यवसाय हेतु मध्यप्रदेश
आयुर्वेद यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम 1970 के अर्न्तगत शेडयूल में उल्लेखित मान्य अर्हताधारी का बोर्ड ऑफ
आयुर्वेदिक एण्ड यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन एण्ड नेचुरोपैथी मध्यप्रदेश के
अर्न्तगत पंजीयन अनिवार्य है ।
स- होम्योपैथी एण्ड बायोकेमिक सिस्टम ऑफ मेडिसन :- इसके अर्न्तगत चिकित्सा व्यवसाय हेतु होम्योपैथी सेन्ट्रल
काउसिन्ल एक्ट 1973 की दूसरी/ तीसरी अनुसूची में मान्य अर्हताधारी का स्टेट
काउन्सिल ऑफ होम्योपैथी मध्यप्रदेश के अर्न्तगत पंजीयन अनिवार्य है ।
2- चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम 1973 की धारा-7 ग के अनुसार अभिधान डॉक्टर का उपयोग केवल उपरोक्त मान्य
चिकित्सा पद्धतियों में रजिर्स्टड मेडिकल प्रेक्टीश्नर ही कर सकते है । अपात्र
व्यक्ति द्वारा उक्त अभिधान का उपयोग चिकित्सा शिक्षा संस्था नियत्रण अधिनियम
1973 की धारा 8(2) के अर्न्तगत 3 वर्ष कारावास या रूपये 50000 जुर्माने या दोनो
से दण्डनीय होगा ।
3-ऐलोपैथी चिकित्सा पत्द्धति में केवल
वे ही चिकित्सा व्यवसाय हेतु पात्र है जो मेडिकल काउन्सिल आफ इंडिया एक्ट 1956
की धारा 15(1) में उल्लेखित अर्हता धारी होकर मध्य प्रदेश मेडिकल काउन्सिल एक्ट
1987 के अन्तर्गत पंजीकृत हो । अपाऋ एंव अपजीकृत व्यक्तियों द्वारा ऐलोपैथिक
चिकित्सा पत्द्धति में चिकित्सा व्यवसाय करने पर मध्यप्रदेश मेडिकल काउन्सिल
एक्ट 1987 की धरा 24 के अर्न्तगत 3 वर्ष तक के कठोर कारावास तथा 50000 रू तक
जुर्माने का प्रावधान है ।
4-इलेक्ट्रो होम्योपैथिक /आल्टर्नेटिव
मेडिसिन देश के विधान अनुसार स्थापित चिकित्सा
पद्धति नही है इन पद्धतियों के व्यवसाईयों हेतु माननीय उच्च न्यायालय पश्चिम
बंगाल,मध्यप्रदेश तथा दिल्ली द्वारा इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही न किये जाने
संबधी निर्देश है ।किन्तु इन पद्धतियों के चिकित्सा व्यवसायी केवल अपनी पद्धति
में ही चिकित्सा व्यवसाय कर सकते है । याचिका क्रमाक 502 /99 (डॉ0मुकेश श्रीवास्तव
विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन ) 2957/94 (काउन्सिल आफ आल्टरनेटिव सिस्टम विरूद्ध मध्यप्रदेश
शासन )2018/92(नेशनल उब्हलप्मेन्ट सोसायटी आफ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी विरूद्ध
मध्यप्रदेश शासन ) एंव अन्य याचिकाओं में पारित आदेश दिनांक 19-03-1999 के पैरा
10 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा इलेक्ट्रोहोम्योपैथी / आल्टर्नेटिव
मेडिसन अर्हता धारीयों के लिये निम्न व्यवस्था जारी की गई है ।
क्योकि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी / आल्टर्नेटिव
मेडिसिन अर्हताधारी मान्य पद्धतियो के अर्न्तगत अर्हताधारी नही है माननीय उच्च
न्यायालय के उपरोक्त आदेशानुसार इनको यद्यपि इनकी विधा में चिकित्सा व्यवसाय
की पात्रता है :-
(1) इनका
पंजीयन मध्यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबधी स्थापनाए (रजिस्ट्रीकरण तथा
अनुज्ञापन ) अधिनियम 1973 के अर्न्तगत नही किया जाना है किन्तु उक्त अधिनियम की
धारा 8 के अर्न्तगत इन पर कोई कार्यवाही भी नही की जायेगी ।
(2)इलेक्ट्रोहोम्योपैथी
/ आल्टनेटिव मेडिसिन अर्हताधारी अभिधान डॉक्टर का उपयोग करने हेतु पात्र नही है
यदि यह अर्हताधारी अभिधान डॉक्टर का उपयोग करते है तो उपरोक्त पैरा-2 में
प्रावधानानुसार इनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाए (याचिका क्रमाक 7352/07
में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर का आदेश दिनांक 22-07-2010
कृपया आपके नेतृत्व में जिले में डिप्टी
कलेक्टर उप पुलिस अधीक्षक तथा मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी पर
आधारित एक दल का गठन कर अभियान चलाकर फर्जी चिकित्सकों /झोला छाप डॉक्टरों की
पहचान कर उपरोक्त प्रावधान अनुसार प्रभावी कार्यावाही कर इन अपात्र व्यक्तियों
द्वारा किये जा रहे चिकित्सा व्यवसाय पर अंकुश लगाने की कार्यावाही करे । कृपया
प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही कर 30 दिवस की अवधि में पालन प्रतिवेदन भेजना
सुनिश्चित करे ।
आयुक्त स्वास्थ्य
मध्यप्रदेश
पृ0क्रमाक/ अ प्र
शा /सेल-6 /एफ-292/ 2011/1084 भोपाल/ दिनांक 26-8-2011
प्रतिलिपि-
1-
अपर मुख्य सचिव गृह विभाग मध्यप्रदेश शासन मंत्रालय बल्लभ
भवन की ओर भेजकर निवेदन है कि कृपया गृह विभाग से भी आवश्यक दिशा निर्देश जारी
करना चाहेगे ।
2-
प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग पर्यावास भवन खण्ड
1भोपाल की ओर उनके क्रमाक 821/माअआ/अनु/ 446/छिदवाडा/ 2011दिनांक18-04-2011 के
सर्न्दभ में सूचनार्थ ।
3-
प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ एंव परिवार कल्याण
विभाग की ओर क्रमाक 842/ 672/2011/मेडी-2/1-दिनांक
05-07-2011 के सर्न्दभ में सूचनार्थ ।
3-
4-
पुलिस महानिर्देशक पुलिस मुख्यालय
जहांगीराबाद भोपाल की ओर सूचनार्थ एंव आवश्यक कार्यवाही हेतु ।
4-
5-
अपर संचालक (प्रशासन)स्थानीय
कार्याल की ओर क्रमाक 4/शिका/स्पेसल/2011/1571दिनांक 21-07-2011 के सर्न्दभ्ा
में सूचनार्थ ।
6-
संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवायें भोपाल ,इन्दौर
,उज्जैन,ग्वालियर,जबलपुर,सागर तथा रीवा की ओर सूचनाथ एंव आवश्यक कार्यवाही हेतु
7-
समस्त मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी मध्यप्रदेश
की ओर भेजकर निर्देश दिये जाते है कि जिला
कलेक्टर एंव पुलिस अधिक्षक से सम्पर्क कर फर्जी चिकित्सकों द्वारा चलाये जा रहे
चिकित्सा व्यवसाय पर अंकुश लगाने हेतु उपरोक्तानुसार कार्यवाही एक मिशन के रूप
में करे ।
8-
श्री थामस,कम्प्यूटर कक्ष ,स्थानीय कार्यालय की ओर भेजकर
इसको विभागीय वेब साइट पर प्रर्दर्शित करे ।
9-
आदेश फाईल ।
आयुक्त स्वास्थ्य
मध्यप्रदेश
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